सत्ता के गलियारे में चर्चा में हैं सरयू राय के ट्वीट
राज्य ब्यूरो, रांची नीतिगत मसलों पर सरकार का अक्सर ध्यान खींचने वाले मंत्री सरयू राय के तेवर एक
राज्य ब्यूरो, रांची
नीतिगत मसलों पर सरकार का अक्सर ध्यान खींचने वाले मंत्री सरयू राय के तेवर एक बार फिर तल्ख दिख रहे हैं। गुरुवार को महज दो घंटे के अंतराल पर उनके द्वारा किए गए दो ट्वीट सत्ता के गलियारे में चर्चा का विषय बने रहे। उन्होंने अपनी बातों को आदर्श का मुलम्मा चढ़ाया है और ताकीद भी की है। राय ने अपने ट्वीट के बहाने सत्ता और संगठन दोनों को निशाने पर लिया है। खुलकर नहीं लेकिन संकेतों में उन्होंने जो बातें लिखीं हैं उन्हें भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और हाल में हुई भाजपा कार्यसमिति के संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है।
पहले ट्वीट में राय लिखते हैं, 'प्रशंसा और चापलूसी के बीच महीन अंतर है। सार्वजनिक अभिव्यक्ति के समय इसका ध्यान नहीं रखने वाले हंसी का पात्र बनते हैं, अपनी पद प्रतिष्ठा धूमिल करते हैं। लाभ, लोभ, भय, आतंक के कारण हुई चापलूसी वाले लम्हे समाज और संगठन में गलत संस्कार डालते हैं जिसका कुपरिणाम पीढि़यों को भुगतना पड़ता है।' वहीं दूसरे ट्वीट में भी राय के विचार चापलूसी की गहन व्याख्या करते हैं। लिखते हैं 'चापलूसी बड़े-बड़ों का बेड़ा गर्क कर देती है। इसके साथ खामख्याली जुड़ जाए तो मानों करेला नीम चढ़ा। इस मामले में चापलूसी करने वाले जितने दोषी हैं उससे बहुत अधिक जिम्मेदार चापलूसी सुनने और सहने वाले और खामख्याली में मस्त रहने वाले हैं। हम, आप, ये, वो सभी के लिए यह उतना ही सही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मंत्री सरयू सरकार के खिलाफ लगातार टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं।
---------------