शिल्प के देवता विश्वकर्मा की आज होगी पूजा
आज विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी, शहर में कई जगह तैयारी पूरी कर ली गई है। पंडाल को एक दिन पहले अंतिम रूप दे दिया गया।
जागरण संवाददाता, रांची : राजधानी में शिल्प व कला के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना को लेकर गैरेज, कल-कारखाना, ऑटोस्टैंड, बस स्टैंड, राची रेलवे स्टेशन, एचईसी, सरकारी बस डिपो, मेकॉन, सीसीएल, सीएमपीडीआई, सहित अन्य स्थानों पर तैयारिया पूरी कर ली गई हैं। कल-कारखानों, गैरेजों को रंग-रोगन कर तैयार किया गया है। इसके अलावा कई स्थानों पर विश्वकर्मा पूजा-समिति की ओर से पंडाल का निर्माण गया है। रातू रोड किशोरी यादव चौक, पिस्का मोड़, मेन रोड, प्लाजा रोड, आईटीआई बस स्टैंड, बिरसा बस स्टैंड में भव्य विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाएगा। प्रतिमाओं को जगह-जगह स्थापित किया गया है।
विश्वकर्मा मंदिर में होगी विशेष पूजा
मेन रोड स्थित विश्वकर्मा की मुख्य पूजा होगी। सुबह भगवान के दरबार का भव्य श्रृंगार फूल-पत्तियों से कर पूजा-अर्चना, हवन, आरती, प्रसाद वितरण, महाभडारा होगा। समुद्र मंथन से हुआ था जन्म
माना जाता है कि प्राचीन काल में सभी का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने पूरे ब्रह्माड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें वज्र भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था। वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं।
क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा
देश में शायद ही ऐसी कोई फैक्टरी, कारखाना, कंपनी या कार्यस्थल हो जहा 17 सितंबर को विश्वकर्मा की पूजा न की जाती हो। वेल्डर, मकैनिक और इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग पूरे साल सुचारू कामकाज के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। बंगाल, ओडिशा और पूर्वी भारत में खास कर इस त्योहार को 17 सितंबर को मनाया जाता है। वहीं कुछ जगहें ऐसी हैं जहा ये दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है।