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गांव की सरकार है तैयार, लेकिन राह में कई चुनौतियां

पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही गांवों में चुनाव की तैयारियों में भी तेजी आ गई है

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:00 AM (IST)
गांव की सरकार है तैयार, लेकिन राह में कई चुनौतियां
गांव की सरकार है तैयार, लेकिन राह में कई चुनौतियां

अनुज तिवारी, रांची : पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही गांवों में चुनाव की तैयारियों में भावी उम्मीदवार लग गए हैं। गांव की सरकार कैसी हो इसे लेकर चौपालों में चर्चा छिड़ चुकी है। इसी कड़ी में राजधानी रांची स्थित नामकुम प्रखंड की हुड़वा पंचायत में विकास तो हो रहा है लेकिन अभी भी यहां पर कई समस्या है जिसे दूर करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस पंचायत के 10 गांवों के लिए सिर्फ एक हाई स्कूल की व्यवस्था है। स्वास्थ्य केंद्र सप्ताह में दो दिन भी खुल जाएं तो बड़ी बात है। पानी की व्यवस्था तो की गई है लेकिन स्वच्छ पीने के पानी के लिए आज भी लोग महरूम है। सड़कें तो बनी है, लेकिन ना ही इसकी चौड़ाई पूरी है और ना ही लंबाई। सड़क ऐसी जो खास जगह से शुरू होकर बीच में ही गायब हो गई है। मूलभूत सुविधाओं को देने का दावा जरूर किया जा रहा है, जिससे विकास की गति जरूर दिखी है लेकिन इन पांच सालों में यह गति धीमी होती चली गई। इस पंचायत की मुखिया अनीता कच्छप बताती हैं कि उन्होंने इस गांव में जो विकास की गाथा लिखी है वो आज तक किसी भी मुखिया ने नहीं किया। उन्होंने दो गांवों में 36 वर्षों के बाद बिजली की व्यवस्था की, जिसके बाद गांव के हर घर में बिजली पहुंची और लोगों के जीने का स्तर ऊंचा हुआ है। अनीता कच्छप बताती हैं कि लोगों के लिए उन्होंने पीने के पानी की व्यवस्था सोलर टंकी लगाकर की, जो भी सरकार की योजनाएं थी उसे धरातल पर उतारने का प्रयास किया। इस वजह से आज लोगों को पीने के पानी के लिए सिर्फ तालाब पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ता है बल्कि उन्हें जलमीनार के माध्यम से स्वच्छ पीने का पानी मिल रहा है। साथ ही गांवों में कुआं की पर्याप्त संख्या भी है। इस पंचायत ने सबसे पहले बनाया था शौचालय, पीएम ने किया था सम्मानित : नामकुम प्रखंड में 23 पंचायत है, जिसमें से शौचालय बनाने की शुरुआत सबसे पहले इसी पंचायत की मुखिया ने किया था। जिसके बाद उन्हें 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी किया था। मुखिया अनिता कच्छप बताती हैं कि पूरे पंचायत में उन्होंने सर्वाधिक 1075 शौचालय का निर्माण कराया है। उन्होंने बताया कि आज उनका गांव ओडीएफ घोषित हो चुका है और गांव के लोग घर पर ही शौच का इस्तेमाल करते हैं।

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मुखिया के कार्य पर उठाया सवाल योजना के अलावा कुछ नहीं हो रहा, बेरोजगार हो चुके हैं युवा : पूर्व मुखिया

पूर्व मुखिया शिवचरण कच्छप बताते हैं कि गांव में रोजगार के नाम पर युवाओं को कुछ नहीं मिल रहा है। मनरेगा के तहत पूरा पैसा भी समय पर नहीं मिल रहा है। इसके अलावा जो भी सरकारी योजनाएं हैं उसे लागू करना मुखिया का काम ही है, लेकिन इसके अलावे गांवों में लोगों को सरकारी काम में जो दिक्कतें आ रही है या जो आर्थिक समस्या है उसे दूर करने की दिशा में मुखिया की ओर से कोई ठोस काम नहीं किया गया। गांव की सरकार मुखिया होता है लेकिन यहां अधिकारी ही मुखिया के काम में दखल देते हैं और उन्हीं की ओर से कार्ययोजना व बजट तय कर दिया जाता है। इससे विकास कम और विकास का हल्ला अधिक होता है।

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हुडुवा पंचायत का रिपोर्ट कार्ड : पांच सालों में पूरा नहीं हो सका पूर्ण विकास बुमरू गांव

गांव में अभी सड़क की कमी है। यहां पर दो पेवर्स ब्लाक सड़क का निर्माण है जो सिर्फ खानापूर्ति है। खुद मुखिया मानती हैं कि यहां पर कम से कम पांच से दस पेवर्स ब्लाक सड़क का निर्माण होना चाहिए, लेकिन इसके लिए बीडीओ ने मना कर दिया है। यहां पर पानी, बिजली की व्यवस्था है, लेकिन अभी भी आयुष्मान कार्ड से 20 प्रतिशत की आबादी अछूती है। सायदा गांव

इस गांव में पानी की अच्छी व्यवस्था की गई है। यहां पर दो पानी की टंकी, सात कुंआ, दो तालाब की व्यवस्था इन पांच वर्षों में की गई है। इसके बाद भी यहां पर नाली की व्यवस्था नहीं है, जिस पर मुखिया का कहना है कि यहां पर लोग नाली बनाने के लिए जमीन नहीं देना चाहते, जिस कारण नाली निर्माण कार्य अधूरा है। हजाम गांव

यहां सड़क, जलमीनार से लेकर दाड़ी व कुएं की व्यवस्था दी गई है। दाड़ी एक ऐसी जगह है जिसे तालाब का बहुत ही छोटा रूप कहा जा सकता है। लेकिन आज भी यहां पर बिजली की लचर व्यवस्था है। जिसे लेकर मुखिया का कहना है कि वे इसके लिए ब्लाक में अपनी बात रख चुकी है। डुंडीगाड़ा गांव

यहां पर सड़क नहीं बन पाई है, आज भी लोग कच्ची सड़क पर चलने को मजबूर हैं। निचितपुर गांव

यहां 165 शौचालय का निर्माण कराया गया है। जिसके बाद यहां पर पीसीसी से लेकर पेवर्स ब्लॉक सड़क का निर्माण हो चुका है। मनरेगा के तहत कई कुंआ का निर्माण कराया गया है। लेकिन इसके बाद भी युवाओं में मनरेगा के तहत काम नहीं मिलने की शिकायत है। करकट्टा गांव

मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी गई है। लेकिन अभी भी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर पूरी सुविधा नहीं मिल रही है। स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा ही उपलब्ध नहीं है। देवगांई गांव

इस गांव में दो टंकी, सात कुंआ और 150 शौचालय है। फिर भी लोगों के घरों में शौचालय सिर्फ हाथी के दांत बन चुके हैं। 80 प्रतिशत लोग इस ओडीएफ गांव में खेतों पर शौच करने जाते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि शौचालय का निर्माण ही घटिया तरीके से किया गया। मेढ़ा गांव

व्यवस्था से लोग खुश हैं, लेकिन अभी भी सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। श्री बस्ती

यहां कच्ची सड़क को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा है। पांच वर्षों में काम नहीं हो पाया। मुखिया का कहना है कि कोरोना की वजह से काम अटक गया था। हुड़वा गांव

सड़क, नाली, बिजली, पानी और शौचालय सभी कुछ है यहां। लेकिन स्वच्छता में गांव अभी भी पीछे है, स्कूल की कमी के कारण शिक्षा पाना कठिन हो गया है यहां। -----------------------------


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