Vat Savitri Vrat 2020: पति के प्रेम में कोरोना का डर काफूर, वट सावित्री पूजा में सुहागिनों का हुजूम; तस्वीरें
Vat Savitri Puja 2020 वट सावित्री पूजा पर झारखंड के सभी शहरों में सुबह से ही सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु और सेहत-नेमत की कामना में जुटी रहीं।
रांची, जेएनएन। Vat Savitri Puja 2020 पति की दीर्घायु और सेहत-नेमत की कामना को लेकर शुक्रवार को सुहागिनें बड़ी संख्या में वट वृक्ष के नीचे जुटीं। अपने सुहाग की सलामती की मनौती मांग यहां विधि-विधान से महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। झारखंड की राजधानी रांची के साथ ही प्रदेश के अलग-अलग शहरों में अपनी मान्यताओं को जीवंत करने सुबह-सवेरे ही विवाहिताओं का हुजूम जुटा। हालांकि, इस दौरान कई जगहों पर लॉकडाउन की बंदिशें टूटती नजर आईं।
वट सावित्री पूजन को लेकर राजधानी के कोकर, मोरहाबादी, चुटिया सहित कई इलाके मे मंदिरों मे सुबह से ही सुहगिनों की भीड़ दिख रही है। वट वृक्ष के समीप इतनी भीड़ है कि शारीरिक दूरी समाप्त हो गया है। आज का दिन सुहगिनो के लिये विशेष दिन है। पति की लम्बी उम्र के लिये निर्जला व्रत रख कर सावित्री, सत्यवान, यमराज के साथ वट वृक्ष की पूजा कर रही है। इस दौरान महिलाओं में संक्रमण की चिंता नहीं देखी। मधुकम मैदान में महिलाएं अलग-अलग समूह में एकत्र थी।
पति की लम्बी उम्र के लिये यमराज, वट सावित्री का पूजन
लोहरदगा शहरी क्षेत्र में वट सावित्री की पूजा के दौरान सुहागिन महिलाओं में कोरोना वायरस के संक्रमण का डर नहीं दिखा। इन महिलाओं ने पति के प्रेम में कोरोना के डर को भी मात दे दिया। वट सावित्री पूजा को लेकर शुक्रवार को सुबह-सुबह सुहागिन महिलाएं अपने घरों से निकलकर आसपास में लगे बरगद के पेड़ के नीचे पहुंच गए और विधि-विधान के साथ बेखौफ तरीके से वट सावित्री का पूजा-अर्चना कर पति के लंबी उम्र की मंगल कामना की। परिवार के सुख-समृद्ध के लिए प्रार्थना की।
वट सावित्री पूजा को लेकर मंदिरों में भीड़, नहीं रखा गया शारीरिक दूरी का ख्याल
बरगद के पेड़ों के नीचे परिक्रमा किया और पंडित जी द्वारा कहे जाने वाली कथा भी सुनी। शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बरगद के पेड़ों तक पहुंचकर भारी भीड़ के बीच सुहागिन महिलाओं ने पूजा की। इस दौरान उन्हें लॉक डाउन के तहत शारीरिक दूरी के नियम का भी ख्याल नहीं रहा। यहां नियम की खूब धज्जियां उड़ी, इन महिलाओं को किसी का कोई डर नहीं दिखा, सिर्फ पति के प्रेम में भगवान याद आये। वहीं दूसरी ओर जिन सुहागिन महिलाओं को कोरोना का डर था वे अपने-अपने घरों में ही वट वृक्ष की डाली के साथ पूजा अर्चना कर पति के लंबी उम्र के साथ सुख-शांति और समृध्दि की मंगल कामना की।
कोडरमा में पति की दीर्घायु के लिए मिटा कोरोना का भय
कोडरमा में पति की दीर्घायु की कामना का पर्व बट सावित्री पूरे जिले में श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। महिलाएं वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना के बाद पेड़ में रक्षा सूत्र बांध रही हैं और बालों में वट वृक्ष के पत्ते लगाकर पति के दीर्घायु की कामना कर रही हैं। लेकिन श्रद्धा एवं भक्ति के इस व्रत में कोरोना संक्रमण को लेकर शारीरिक फासले का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। अधिकतर जगहों पर शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है। महिलाएं एक दूसरे से बिल्कुल सटकर पूजा अर्चना में जुटी हैं। कही भी किसी के चेहरे पर मास्क या फेस कवर भी नहीं दिखा। आमतौर पर कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा संजीदा रहने वाली महिलाएं इस दौरान संक्रमण के भय से पूरी तरह मुक्त होकर पूजा अर्चना में लीन है। इस दौरान कई जगह पर पंडितों ने पूजा अर्चना की और महिलाओं को सावित्री सत्यवान की कथा सुनाई।
चतरा में पति के दीर्घायु को लेकर सुहागिन कर रही वटवृक्ष पूजा
अमर सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन वटवृक्ष की पूजा कर रहीं हैं। स्नान ध्यान के बाद सुहागिन नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए टोली की शक्ल में वट वृक्ष के नीचे पहुंची। जहां जल, रोली, चावल, सिंदूर, हल्दी, गुड़, भींगा चना, मटर, फल व प्रसाद से विधि-विधान पूर्वक सावित्री तथा सत्यावान की पूजा अर्चना कर रहीं हैं। महिलाएं सावित्री एवं सत्यवान की कथा भी सुन रही हैं। उसके बाद महिलाएं वट वृक्ष के तना में 108 बार कच्चा सुत लपेटकर अमर सुहाग की कामना करेंगी।
पर्व की महता पर प्रकाश डालते हुए बाबा विनोद कुमार मिश्रा ने कहा कि वट सावित्री पूजा सुहागिनों के अखंड सौभाग्य प्राप्त करने का प्रमाणिक और प्राचीन व्रत है। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि व्रत करने से अल्पायु पति भी दीघार्यु हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब सतवाहन की आत्मा को यमराज लेने पहुंचे थे, तब उनकी पत्नी सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। यमराज के काफी समझाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी, तब विवश होकर यमराज ने सतवाहन के आत्मा का प्रवेश उसके मृत शरीर में करवा दिया।
उसी समय सावित्री ने वट की पूजा की थी। शहर के विभिन्न स्थानों पर वट सावित्री की पूजा अर्चना की जा रही है। जलछाजन, नगर भवन के समीप, कठौतिया मंदिर, वन विभाग सहित दर्जनों स्थानों पर सुहागिन वट सावित्री की पूजा अर्चना कर रही हैं। हालांकि इस दौरान महिलाएं शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रख रहीं हैं। इतना ही नहीं पूजा के लिए महिलाएं जत्था के जत्था में नहीं आ रही हैं।
पति की दीर्घायु के लिये सुहागिने कर रहीं वट सावित्री पूजा
चाईबासा में पति की लंबी उम्र और संतान के कुशल भविष्य के लिए सुहागिनें आज वट सावित्री का पूजन कर रही हैं। तीन दिवसीय वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की मासिक शिवरात्रि से शुरू होकर सोमवती अमावस्या तक रहेगा। चाईबासा में पंडित प्रमोद मिश्रा ने इस बार वट सावित्री पूजन के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा। इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगा कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है। साथ ही वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। व्रत का पालन कर रही बड़ा नीमडीह की गुड़िया महतो, सुमन और शुक्ला और सविता देवी ने बताया कि वह व्रत का पारण पूजन के बाद करेंगी। इस बार यह व्रत घर पर ही हम महिलायें साथ कर रही हैं। कथा सुनने के लिये पंडित जी आये हैं। इधर गांधी टोला में महिलाओं ने मंदिर के पास अवस्थित बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर पूजन कर रही हैं।
पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने रखा व्रत, सुबह सवेरे ही शुरू की पूजा
शुक्रवार की सुबह खास रही। पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा। वट वृक्ष के समीप सावित्री की पूजा किया। सावित्री व सत्यवान की कथा सुनी। सनातन धर्म में पति को परमेश्वर का दूसरा रूप माना गया है। प्रत्येक स्त्री का कामना होता है कि वह सुहागन रहे। स्वयं कोई कष्ट हो पर पति दीर्घायु और स्वस्थ हो। इसी कामना का व्रत है वटसावित्री । पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। ईश्वर से पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति की कामना की गई। वट सावित्री पूजा का सुहागिनों के लिए विशेष महत्व होता है।
हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक स्थान पर पूजा करने के बजाय महिलाएं अपने घरों और आसपास के वृक्षों के नीचे ही पूजा-अर्चना की। कथा का श्रवण किया। वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को मनायी जाती है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि 21 मई की रात 9.16 बजे से आरंभ होकर सुप्रभात को रात्रि 10.36 बजे तक है।
इस प्रकार की गई पूजा
वट सावित्री पूजा में वट वृक्ष के साथ सत्यवान-सावित्रि और यमराज की पूजा की गई। विष्णुपुराण में वर्णन है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव वास करते हैं। इसके समक्ष बैठकर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियों को प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिये इसके बाद रेत से भरी एक बांस की टोकरी लें और उसमें ब्रहमदेव की मूर्ति के साथ सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां स्थापित करें दोनों टोकरियों को वट के वृक्ष के नीचे रखे और ब्रहमदेव और सावित्री की मूर्तियों की पूजा करें। तत्पश्चात सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की पूजा करे और वट वृक्ष को जल दे वट-वृक्ष की पूजा हेतु जल, फूल, रोली-मौली, कच्चा सूत, भीगा चना, गुड़ इत्यादि चढ़ाया। जलाभिषेक किया।
सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा, उमड़ी भारी भीड़
लातेहार में प्यार श्रद्धा व समर्पण के पर्व वट सावित्री पूजा पर शुक्रवार की सुबह सुहागिनों ने कोरोना वायरस संक्रमण का डर नहीं दिखने को मिला। सोलह श्रृंगार कर सुहागिन महिलाएं अपने घरों से निकलकर आसपास में लगे बरगद पेड़ के नीचे पहुंचकर बिना डर भय के वट वृक्ष की पूजा की। महिलाओं ने कोरोना वायरस को मात देकर पति के खातिर पूजा व फेरे लगाकर अमर सुहाग की कामना की। करवा चौथ के समान ही पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किए जाने वाले पर्व पर अहले सुबह से ही सुहागिन महिलाएं दैनिक कार्यों के संपादन के बाद स्नान व श्रृंगार कर बांस की टोकरी तथा पंखा लेकर वटवृक्ष के समीप पहुंची।
वट वृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अमर सुहाग का आशीर्वाद
ब्रहमा जी के साथ-साथ पतिव्रता सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित कर पंडित राजेश पाठक, संतोष मिश्रा, दिलीप उपाध्याय, त्रिभुवन पांडेय व परमेश्वर पाठक के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना की। वटवृक्ष के जड़ में जल अर्पण किया। मौली व सूत के धागे को वृक्ष पर लपेटकर वट वृक्ष की परिक्रमा की। सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी दिया। ब्राह्मणों से सावित्री- सत्यवान की अमर प्रेम कथा सुनी। घर पहुंच कर पूजा किए हुए पंखे से पति को हवा दी। शहर के अन्य ग्रामीण इलाकों में भी सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करते दिखीं। लॉक डॉउन रहने के कारण कुछ महिलाओं ने मंदिर परिसर में व घर मे ही वट वृक्ष की डाली के साथ पूजा-अर्चना कर सुहागिनों ने अमर सुहाग का आशीर्वाद मांगा।
शारीरिक दूरी का नहीं हुआ पालन
सुहागिनों ने अपने पति के खातिर पूजा अर्चना को लेकर लॉक डाउन के दौरान शारीरिक दूरी के नियम का भी ख्याल नहीं रखा। लॉक डॉउन के नियम की खूब धज्जियां उड़ाई गई। लेकिन महिलाओं को किसी का कोई डर नहीं दिखा।
सजना की जिंदगानी के लिए सुहागिनों ने रखा व्रत
खूंटी में वट सावित्री (बरगदाही अमावस) का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा के साथ मनाया गया। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में सुहागिन महिलाओं ने बरगद के पेड़ पर धागा बांधकर विधिवत पूजा की। हालांकि इस बार लॉकडाउन के कारण बरगद के पेड़ पर पूजा करने वाली महिलाओं की संख्या नगण्य रही। अधिकतर महिलाओं ने अपने घर में ही बरगद की डाली की पूजा कर पर्व मनाया। सुबह से ही शुरू हुई पूजा का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा। सुहागिनों ने पेड़ में धागा बांधकर अपने पति की दीर्घायु के साथ ही परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। शहर में मंदिरों समेत तमाम इलाकों में बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना हुई। सुबह होते ही महिलाएं अपने साथ पूजन सामग्री लेकर जिन स्थानों पर बरगद का पेड़ था, वहां पहुंच गईं। यहां महिलाओं ने विधिवत बरगद के चारो ओर धागा बांधा और मन्नतें मांगीं। महिलाओं ने पति और बच्चों की दीर्घायु की कामना की। इस दौरान सुहागिनों ने खरबूजा, आम, सुराही व श्रृंगार से जुड़े सामान चढ़ाए।