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इनके चुटीले अंदाज का क्‍या कहना...

Jharkhand Assembly. वैसे तो विधानसभा में उपस्थित सभी सदस्यों की अपनी भूमिका है लेकिन कुछ नेता ऐसे हैं जिनके किरदार में तमाम रंग देखने को मिल रहे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 01:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 05:10 PM (IST)
इनके चुटीले अंदाज का क्‍या कहना...
इनके चुटीले अंदाज का क्‍या कहना...

रांची [आनंद मिश्र]। यहां ड्रामा भी है, कॉमेडी और एक्शन भी। हम किसी फिल्म की बात नहीं कर रहे हैं, बात झारखंड विधानसभा की हो रही है। विधानसभा के माननीय अपने किरदार से सदन में ये तमाम रंग प्रस्तुत कर रहे हैं। वैसे तो विधानसभा में उपस्थित सभी सदस्यों की अपनी भूमिका है लेकिन कुछ हैं जिन्हें सदन का शृंगार कहा जा सकता है। लंबे अंतराल के बाद जब बजट सत्र में सदन की कार्यवाही सुचारू रूप चल रही है तो ये तमाम रंग देखने को मिल रहे हैं। नेता सदन के तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष के रूप में हेमंत सोरेन तो अपनी भूमिका का निर्वाह कर ही रहे हैं लेकिन कुछ हैं जिनकी चर्चा यहां लाजिमी है।

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सीपी सिंह : झारखंड विधानसभा के वरिष्ठ सदस्यों में शुमार किए जाने वाले मंत्री सीपी सिंह अपनी अहम और विशेष भूमिका के साथ विपक्ष पर खास तंज के लिए जाने जाते हैं। मौका कोई भी हो, बहस किसी से भी चल रही हो लेकिन ये बोलने का कोई मौका नहीं चूकते। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रह चुके सीपी सिंह स्पीकर को भी नसीहत देने से नहीं चूकते। वैसे तो विपक्ष के तमाम सदस्य इनके निशाने पर रहते हैं लेकिन कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी से इन्हें विशेष स्नेह है।

इरफान अंसारी : कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी को सदन का विशेष आकर्षण कहा जाए तो गलत न होगा। कॉमेडी का कोटा इन्हीं के जिम्मे है। विषय इनसे संबंधित हो या न हो, बोलते जरूर हैं। कई बार हास्य का पात्र भी बनते हैं लेकिन इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। सत्ता पक्ष के लोगों ने हाल ही में इन्हें झारखंड का पप्पू कहकर भी पुकारा है।

रामचंद्र चंद्रवंशी व राधाकृष्ण किशोर : पलामू में गर्मी कुछ ज्यादा ही है और यह गर्मी सदन में भी दिखती है। स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी और सत्ताधारी दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर इसी क्षेत्र से आते हैं। दोनों का सरोकार सत्ता पक्ष से है लेकिन एक दूसरे पर तंज कसने से दोनों नहीं चूकते। टीस भी दिखती है। पलामू से एक ही मंत्री हो सकता है और वहां रामचंद्र चंद्रवंशी बाजी मार ले गए हैं, सो राधा कैसे न जले। दोनों की जब बहस होती है तो पूरा सदन जमकर मजे लेता है।

प्रदीप यादव : इन्हें एक्शन हीरो की कैटेगिरी में रखना ठीक होगा। विषयों को तार्किक ढंग से उठाना और उस पर पूरे सदन का ध्यान आकृष्ट कराना इनकी खूबी है। मौजूदा सदन में महज दो विधायकों वाली झाविमो का ये प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन जब ये बोलते हैं तो सत्ता पक्ष घिर ही जाता है। ये नेता सदन को भी घेरने का कोई मौका नहीं चूकते।

रणधीर सिंह : कृषि मंत्री रणधीर सिंह का विधानसभा में अपेक्षाकृत कम ही रोल देखने को मिलता है। लेकिन ये अपनी अजीबो-गरीब हरकतों से सदन का ध्यान आकृष्ट करा ही लेते हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष में जब किसी विषय को लेकर बहस या हंगामा होता है तो ये खड़े होकर तेज स्वर में विपक्ष को नसीहत देते नजर आते हैं। हाल ही में एक गंभीर विषय पर चर्चा के दौरान अखबार पढ़ते नजर आए तो स्पीकर ने इन्हें फटकार भी लगाई।

कुणाल षाडंगी : झामुमो के युवा विधायक कुणाल षाडंगी ने अपनी प्रतिभा से सत्ता पक्ष को भी कायल बना रखा है। गंभीर विषयों को उठाते हैं, तथ्‍यों की पूरी परख करने के बाद धारदार तर्कों के साथ सरकार को घेरते हैं।हाल ही में इनके द्वारा प्रयोग किया गया जुमला काफी चर्चित रहा। जुर्माने से बचाइए हुजूर का जुमला उछालते हुए तब कुणाल ने कहा था कि ओडीएफ के चलते पश्चिम बंगाल के इलाके में लोग शौच जा रहे हैं। क्‍योंकि झारखंड सरकार उनके विधानसभा क्षेत्र में बिना शौचालय बनवाए ही लोगों से 500 रुपये जुर्माने वसूल रही है।

सरयू राय : अपनी ही सरकार को कई बार कठघरे में खड़ा कर चुके सरयू राय नीति-सिद्धांतों के साथ चलते हैं। सदन में इनकी भूमिका के सभी कायल हैं। विधानसभा के सभी मानकों का पालन करते हैं और सत्ता पक्ष की ओर से तार्किक अंदाज में विपक्ष पर पलटवार करते हैं। जब राय बोलते हैं तो विपक्षी खेमा भी शांति से सुनता है। सदन में राय की भूमिका चाणक्य सरीखी बताई जाती है।

मौनी बाबा : शोले फिल्म का एक डायलॉग है, इतना सन्नाटा क्यों है भाई। सदन में इस सन्नाटे को बयां करने वालों की भी एक बड़ी जमात है। इस श्रेणी में सत्ता पक्ष के 60 फीसद विधायकों को रखा जाता सकता है। सदन में नियत समय से आना और हाजिरी बनाकर चले जाना इनका काम है। हंगामे के दौरान जब सत्ता पक्ष कुछ कमजोर पडऩे लगता है तो इन्हें इशारा किया जाता है, ये अपनी जगह पर खड़े होते हैं और फिर कुछ देर बाद खुद ही बैठ जाते हैं। 


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