Migrant Workers Back: गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है... प्रवासी श्रमिकों को लग्जरी गाड़ियों का बुलावा
लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बस भाड़े पर बुक कर करीब 15 दिन पहले गांव लौटे हैं। अब कंपनी मालिक वापस बुला रहा है। बोला है कि आप लोगों को लेने के लिए बोलेरो भेज देंगे। वापस आइए।
केस - 1 : लॉक डाउन की अवधि में काम थमने के कारण लातेहार से 13600 प्रवासी श्रमिकों का जत्था हाल ही में वापस आया है। इनमें कई ओडिशा में टेलर चलाने का काम करते थे। अब इन्हें कंपनी की ओर से वापसी का बुलावा आया है।
केस -2 : चाईबासा के झींकपानी 25 प्रवासी श्रमिक लौटे हैं। सभी हैदराबाद की एक कंपनी में काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बस भाड़े पर बुक कर करीब 15 दिन पहले गांव लौटे हैं। अब कंपनी मालिक वापस बुला रहा है। बोला है कि आप लोगों को लेने के लिए बोलेरो भेज देंगे। वापस आइए।
रांची, राज्य ब्यूरो। लातेहार व चाईबासा की ये घटनाएं तो बानगी मात्र हैं। राज्य के विभिन्न राज्यों से लॉक डाउन की अवधि में वापस आए मजदूरों को दोबारा कंपनियों की तरफ से वापसी का बुलाया आ रहा है। ये वो कंपनियां हैं, जिन्होंने हाल ही में मजदूरों को बोझ समझते हुए उनसे नाता तोड़ लिया था। अब रियायत मिली और फैक्ट्रियों का ताला वापस खुला तो इन्हें प्रोडक्शन की चिंता सता रही है। श्रमिक ही नहीं होंगे तो उत्पादन कहां से होगा। पहले मजदूरों को रोक नहीं पाए और अब इन्हें झारखंडी मजदूरों की याद सता रही है।
झारखंड में भले ही आधारभूत संरचनाएं आधी-अधूरी है लेकिन हमारे मजदूरों के दम पर दक्षिण-पश्चिम के राज्य विकास की गाथा लिख रहे। फिलहाल मजदूर नहीं लौटे तो इन राज्यों में सड़क, बिजली ट्रांसमिशन की योजनाएं ठप पड़ जाएगी। अब मजदूरों के ये वापस आने के लिए मनुहार कर रहे हैं। जैसे-जैसे समय बीतेगा श्रमिकों के पास वापसी के पैगाम बढ़ते जाएंगे। लेकिन कितने वापस लौटेंगे यह तो वक्त ही बताएगा।
लातेहार के हेरहंज के अर्जुन, रविंद्र, जगेश्वर, विश्वनाथ कहते हैं कि वापस काम पर लौटने के लिए कंपनी की ओर से गाड़ी भेजने की भी बात कही गई थी। लेकिन फिलहाल उन्होंने मना कर दिया है। वहीं चाईबासा के तांतनगर प्रखंड में तमिलनाडु से लौटे श्रमिकों से भी संपर्क स्थापित कर उन्हेंं दोबारा काम के लिए बुलाये जाने की बात सामने आयी है। लेकिन फिलहाल इन्होंने कुछ तय नहीं किया है।
जाहिर है ज्यादातर श्रमिक वापस नहीं लौटना चाहते लेकिन ऐसा तभी होगा जब उन्हें झारखंड में ही रोजगार मिले। रोजगार न मिलने की सूरत में ये मजबूरी में एक बार फिर वापसी का रुख करेंगे ही। जबलपुर, मध्य प्रदेश से लौटे तोरपा प्रखंड अतंर्गत दियांकेल पंचायत निवासी 23 वर्षीय अंकित तोपनो ने कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद वह वापस जबलपुर चला जाएगा, क्योंकि यहां कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही है।
मनरेगा में हार्डवर्क ज्यादा है। जबलपुर में वह अपनी बहन के साथ अर्सोट नामक कंपनी में नौकरी कर रहे थे। अड़की प्रखंड के पुरनानगर निवासी वीरेन्द्र पुरान ने बताया कि वह गुजरात में एक कपड़ा फैक्ट्री में में काम करता था। उसका फैक्ट्री का मैनेजर उसके संपर्क में है। स्थिति सामान्य होने पर वह वापस लौट जाएंगे।