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चतुर्थ झारखंड विधानसभा: खूब बरपा हंगामा, चरम पर दिखा पक्ष-विपक्ष में टकराव; सर्वश्रेष्ठ विधायक जेल तक पहुंचे

4th Jharkhand Assembly. झारखंड विधानसभा के चतुर्थ सत्र में विधायिका के तमाम रंग दिखे। चतुर्थ सत्र सबसे लंबा चला इसमें 16 सत्र आहूत हुए और कुल 119 विधेयक पारित किए गए।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 10:54 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 06:42 PM (IST)
चतुर्थ झारखंड विधानसभा: खूब बरपा हंगामा, चरम पर दिखा पक्ष-विपक्ष में टकराव; सर्वश्रेष्ठ विधायक जेल तक पहुंचे
चतुर्थ झारखंड विधानसभा: खूब बरपा हंगामा, चरम पर दिखा पक्ष-विपक्ष में टकराव; सर्वश्रेष्ठ विधायक जेल तक पहुंचे

रांची, [जागरण विशेष]। Jharkhand Assembly - मसला था कि क्या सही है, लेकिन माननीयों की जिरह सही कौन है, पर उलझ कर रह गई। नतीजा राज्य की सबसे बड़ी पंचायत (झारखंड विधानसभा) का चतुर्थ सत्र कई मौकों पर कटुता की सीमाएं लांघता नजर आया। पिछले साढ़े चार साल में सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव चरम पर दिखा। नेता सदन (मुख्यमंत्री) रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन तक आपस में उलझते दिखे। मंत्रियों से विधायकों का टकराव तो आम बात रही।

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सीएनटी एसपीटी संशोधन विधेयक, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक, स्थानीयता नीति सहित कई मसलों पर असहमति का स्वर इतना मुखर हुआ, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दी। शुक्रवार को भी सोलहवें मानसून सत्र के अंतिम कार्यदिवस पर स्पीकर दिनेश उरांव ने अपने संबोधन के क्रम में हमेशा की तरह कटुता पर चिंता जताई।

चतुर्थ विधानसभा का प्रथम सत्र छह जनवरी से नौ जनवरी 2015 तक आहूत किया गया था जबकि शुक्रवार को मानसून सत्र के अंतिम कार्यदिवस को इस विधानसभा का अंतिम सत्र माना जा रहा है। हालांकि, निर्माणाधीन नए विधानसभा भवन में एक या दो दिवस का विशेष सत्र चुनाव से पूर्व आयोजित किया जा सकता है। चतुर्थ विधानसभा झारखंड गठन के बाद से सबसे लंबे समय तक चली। 16 सत्र आहूत हुए और इस दौरान 119 विधेयक पारित हुए। हालांकि, सत्रावधि कैसे बीती सबने देखा।

नवंबर 2016 को सदन में सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधायक पर हुए विवाद के बाद से सदन की कार्यवाही कम से कम पिछले बजट सत्र में तो न के बराबर चली। गत जनवरी में आहूत बजट सत्र में माहौल समान्य होता नजर आया और कुल 15 कार्यदिवस में से 14 दिन सामान्य तरीके से कामकाज हुआ, लेकिन जायका अंतिम मानसून सत्र तक एक बार फिर खराब हो गया। हालांकि, इस दौरान सरकार के कामकाज प्रभावित नहीं हुए। मूल बजट के अलावा तमाम अनुपूरक बजट और विधेयक पारित कराने में सरकार कामयाब रही।

सीएनटी पर खूब हंगामा

सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर संशोधन को लेकर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जो टकराव हुआ, उसे वर्षों तक याद रखा जाएगा। 23 नवंबर 2016 को विधानसभा में इन विधेयकों के पारित होने पर पक्ष-विपक्ष ने खासा टकराव हुआ। आसन की ओर जूता उछालने से लेकर विधेयक की प्रति तक फाड़ी गई। हालांकि, विधानसभा से पास इस बिल को छह माह बाद राज्यपाल ने वापस लौटा दिया और सरकार दोबारा इसे विधानसभा में नहीं लाई।

नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष का टकराव

चतुर्थ विधानसभा में कई मौके ऐसे आए जब नेता सदन रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन में तीखी नोकझोंक हुई। दिसंबर 2017 के शीतकालीन सत्र में तो तमाम मर्यादाएं टूट गईं। स्पीकर ने भी दोनों नेताओं के रवैये पर चिंता जताई और मर्यादित आचरण की यह कहते हुए नसीहत दी कि आसन मजबूर नहीं है।

सर्वश्रेष्ठ विधायक जेल तक पहुंचे

झारखंड विधानसभा से सर्वश्रेष्ठ विधायक का तमगा हासिल करने वाले प्रदीप यादव दो बार जेल भी गए। हाल ही में यौन शोषण के आरोपों से घिरे यादव ने आत्मसमर्पण किया है। तार्किक अंदाज में अपनी बातों को सदन में रखने वाले प्रदीप यादव ने अपने तीखे सवालों से कई बार सत्ता पक्ष को बैकफुट पर भेजा। 

झारखंड विधानसभा की सत्रावधि

विधानसभा - सत्र - बैठकों की संख्या - पारित विधेयक

प्रथम विधानसभा - 14 - 115 - 47

(21-11-2000 से 31-12-2004)

द्वितीय विधानसभा - 12 - 117 - 76

(10-03-2005 से 22-12-2008)

तृतीय विधानसभा - 14 - 107 - 77

(04-01-2010 से 06-08-2014)

चतुर्थ विधानसभा - 16 - 127 - 119

(06-01-2015 से अब तक )

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