मानव तस्करों से डेढ़ माह में 95 आदिवासी लड़कियां कराई गई मुक्त
रांची लॉकडाउन में घर की आर्थिक स्थिति खराब क्या हुई राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का गरीब आदिवासी परिवार मानव तस्करों के चंगुल में फंस गया। जैसे-जैसे अनलॉक हो रहा है और परिवहन के साधन मिलने लगे है वैसे ही मानव तस्कर भी सक्रिय हो गए हैं।
रांची : लॉकडाउन में घर की आर्थिक स्थिति खराब क्या हुई, राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का गरीब आदिवासी परिवार मानव तस्करों के चंगुल में फंस गया। जैसे-जैसे अनलॉक हो रहा है और परिवहन के साधन मिलने लगे है, वैसे ही मानव तस्कर भी सक्रिय हो गए हैं। सितंबर में राज्य के भीतर बस परिचालन शुरू होते ही बड़े पैमाने पर मानव तस्करी के मामले भी सामने आने लगे हैं। महज डेढ़ महीने के भीतर झारखंड से जुड़े 18 लड़के और 95 लड़कियां विभिन्न जगहों से मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराई गई हैं। उन्हें काउंसिलिग के बाद वापस घर भेज दिया गया। जो सामने आए या जिनकी सूचना मिली, उन्हें तो मुक्त करा लिया गया, लेकिन जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, उन्हें महानगरों तक पहुंचा दिया गया है।
राज्य बनने के 19 साल के बाद भी पुनर्वास नीति नहीं बनी है। नतीजा यह है कि जिन्हें मुक्त कराकर झारखंड लाया जाता है, वे भी घर की आर्थिक स्थिति खराब होने पर पुन: महानगरों का रुख करने को विवश हो जाते हैं। इनमें से ही कइयों का मानव तस्कर सौदा कर देते हैं, जिन्हें बंधक बनकर महानगरों में बंधुआ मजदूरी करने पर विवश होना पड़ता है।
एक दिन पूर्व ही रांची के सिकिदिरी व सिल्ली तथा रामगढ़ के बरकाकाना क्षेत्र की 17 लड़कियां तमिलनाडू जाने से पहले ही रातू में रोक दी गईं। उन्हें सिलाई-कढ़ाई के नाम पर ले जाया जा रहा था, जिनमें कई नाबालिग भी हैं। इसी क्षेत्र से आठ सितंबर को भी 34 लड़कियां व 18 लड़के बस से गोवा जाते वक्त रामगढ़ में पकड़े गए थे। इसी तीन अक्टूबर को रांची रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने लातेहार से हैदराबाद ले जाई जा रहीं 14 बच्चियों को मुक्त कराया था। लातेहार में दो माह पूर्व ही हेमंत सरकार ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिग यूनिट (एएचटीयू) को मंजूरी दी थी। मानव तस्करी रोकने के लिए राज्य में 12 एएचटीयू थाने हैं, जिनमें लातेहार, साहिबगंज, गोड्डा, गिरिडीह, रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, पलामू, चाईबासा व दुमका जिला शामिल हैं।
गत माह सिमडेगा में मानव तस्करी के आरोप में दो लोग गिरफ्तार किए गए थे। उनपर आरोप था कि वे जिले के ठेठईटांगर थाना क्षेत्र के घोड़ीटोली गांव की दो नाबालिग बच्चियों को दिल्ली ले जा रहे थे। अभी गत माह ही गुजरात के सूरत जिले की पुलिस ने एक कारखाने में बंधक बनीं रांची की 30 लड़कियों को मानव तस्कर से मुक्त कराया था। ये लड़कियां सिलाई प्रशिक्षण के नाम पर बहला-फुसलाकर ले जाई गई थीं।
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लॉकडाउन में ही सक्रिय थे मानव तस्कर :
सूचना है कि लॉकडाउन में जहां प्रशासन की पहुंच नहीं थी, वहां मानव तस्कर गरीबों का हमदर्द बनकर पहुंच गए थे। ऐसी सूचना गुमला व खूंटी के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से मिल रही थी। ये तस्कर ग्रामीणों को थोड़ी-बहुत मदद के नाम पर चारा फेंक रहे थे, ताकि अनलॉक होते ही वे इसका फायदा उठा सकें। लगातार आ रहे मामले इस सूचना को सत्यापित कर रहे हैं।
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सिलाई-कढ़ाई से लेकर सुरक्षा गार्ड तक का दिया जाना था प्रशिक्षण :
मानव तस्करी रोकने के लिए पूर्व की सरकार ने एक योजना बनाई थी कि मुक्त कराई गई लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई के अलावा सुरक्षा गार्ड का प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ेगी। यह प्लान पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर सकी, जिस कारण मानव तस्करी पर रोक लगा पाना मुश्किल हो रहा है।
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