विपक्षी एकता भाजपा के लिए गंभीर चुनौती
राज्यसभा चुनाव में माले द्वारा झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन के पक्ष में मतदान की घोषणा से चुनावी परिदृश्य पर चाहे भले ही बहुत अंतर न पड़े लेकिन यह भाजपा के लिए गंभीर चुनौती है।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्यसभा चुनाव में माले द्वारा झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन के पक्ष में मतदान की घोषणा से चुनावी परिदृश्य पर चाहे भले ही बहुत अंतर न पड़े लेकिन यह भाजपा के लिए गंभीर चुनौती है। पिछले सोलह वर्षों में आठ बार हो चुके राज्यसभा चुनाव में केवल एक मर्तबा तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह ने झामुमो के पक्ष में मतदान किया था। बाकी सभी में पार्टी ने हिस्सा ही नहीं लिया था।
11 जून को निर्धारित इस बार के चुनाव में राजनीतिक रूप से प्रबल प्रतिद्वंद्वी झाविमो द्वारा झामुमो के पक्ष में मतदान के एलान से ही विपक्षी एकता की मजबूत नींव पड़ी। इसके पहले झामुमो और कांग्रेस ही एक साथ आए थे। कांग्रेस प्रत्याशी का टर्म पूरा होने पर यह चुनाव हो रहा है, जिसमें संख्या बल को देखते हुए झामुमो के समर्थन में कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा। मासस पहले ही झामुमो को समर्थन दे चुकी है। अब माले के एलान से बनी विपक्षी एकता की नींव पर कोई राजनीतिक इमारत बनी तो यह भविष्य में भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। मासस के एकमात्र विधायक अरूप चटर्जी झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन के प्रस्तावक बने थे, जबकि माले के राज कुमार यादव ने अब अपने समर्थन की घोषणा की है।
राज्यसभा की दो रिक्त सीटों पर हो रहे चुनाव में 81 सदस्यीय सदन के लिहाज से 28 विधायकों के वोट से एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो सकेगी। भाजपा ने दोनों सीटों पर प्रत्याशी देकर अपनी स्थिति थोड़ी सी असहज बना ली है क्योंकि प्रतिपक्ष की ओर से एक ही प्रत्याशी है। प्रतिपक्षी झामुमो प्रत्याशी के पक्ष में कांग्रेस, झाविमो और मासस के होने से 29 मत सुनिश्चित माने जा रहे थे, जबकि माले के भी जुट जाने से उसके पक्ष में तीस वोट हो जाएंगे। संख्याबल के लिहाज से भाजपा की एक सीट पर जीत पक्की है, जबकि मतदान तक विपक्षी एकता ऐसी ही बनी रही और ज्याद वोट अमान्य न हुए तो भाजपा को दूसरी सीट गंवाने की सूरत बन जाएगी।
अपने पत्ते नहीं खोल रहे एनोस-शिवपूजन
रांची : एकल विधायक वाले बसपा और झापा की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। विधानसभा सत्रों के दौरान अक्सर सत्ताधारी भाजपा की तरफ झुकाव रखने वाले बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए पार्टी अध्यक्ष मायावती का मार्गदर्शन मांगा है। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से स्टैंड स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिपोर्ट भेजी गई है। बकौल कुशवाहा, एक-दो दिनों में पार्टी इस पर फैसला ले लेगी।
रिम्स में इलाज करा रहे एकमात्र झापा विधायक एनोस एक्का का कहना है कि मतदान के लिए विधानसभा जाने को अदालत से अनुमति मिलने के बाद वे निर्णय लेंगे। वे हत्या के एक मामले में जेल में हैं और फिलहाल अपना इलाज करा रहे हैं। जय भारत समानता पार्टी की गीता कोड़ा और नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रताप शाही भाजपा को समर्थन देने की घोषणा पूर्व में कर चुके हैं।