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ललन के जैविक हुनर से मालामाल हुए हजारों किसान

ललन शर्मा ने झारखंड सहित पूरे देश में जैविक विधि से खेती करने की पद्धति का प्रचार करने को अपना मिशन बना लिया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 04:43 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 04:52 PM (IST)
ललन के जैविक हुनर से मालामाल हुए हजारों किसान
ललन के जैविक हुनर से मालामाल हुए हजारों किसान

संजय कुमार, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन एकल अभियान के राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं ग्रामोत्थान योजना के केंद्रीय प्रमुख ललन शर्मा ने झारखंड सहित पूरे देश में जैविक विधि से खेती करने की पद्धति का प्रचार करने को अपना मिशन बना लिया है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची से स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने के बाद नौकरी करने के बदले सामाजिक संगठन से जुड़कर काम करने का निश्चय किया। आज एकल विद्यालय से जुड़कर झारखंड के कई जिलों में जैविक कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं।

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गिरिडीह जिले के गांव परमाडीह, बेलडीह एवं पर्वतपुर में जिन किसानों को कभी ठीक से भोजन एवं वस्त्र भी नहीं मिल पाता था। आज ललन शर्मा के प्रयास से इन किसानों ने जैविक विधि से खेती करना प्रारंभ किया। आज इन गांवों के किसान लाखों की संपत्ति के मालिक बने हुए हैं। सभी सुविधाओं से संपन्न यह गांव जैविक गांव के रूप में भी प्रसिद्ध हो चुका है। हाल यह है कि यहां के किसान मांग के अनुसार जैविक सब्जियों की आपूर्ति नहीं कर पाते हैं। ललन शर्मा के इस प्रयास से ऐसे किसानों को सीखने की जरूरत है जो खेती में घाटे व कर्ज की बात कहकर आत्महत्या कर लेते हैं। एकल के प्रयास से पूरे देश में 82 हजार किसान आज जैविक खेती को अपना चुके हैं। इसे और विस्तार देने पर काम जारी है। ललन जैविक विधि से उत्पादित सामान को बाजार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

केमिकल उर्वरक आधारित खेती से हो रही हैं बीमारियां

ललन शर्मा का कहना है कि प्राचीन काल से ही भारत की अर्थव्यवस्था मूलत : कृषि आधारित एवं संपूर्ण कृषि प्रणाली गो आधारित रही। परंतु विकास के साथ ही गो आधारित खेती के बदले में केमिकल फर्टिलाइजर आधारित खेती को हम बढ़ावा देने लगे। उसका असर आज दिखने लगा है। कई तरह की बीमारियों से लोग ग्रसित होने लगे हैं। चर्म रोग, ब्लड प्रेशर, अनिंद्रा, हार्ट अटैक से लेकर कैंसर तक की बीमारियां इस केमिकल आधारित उत्पादों के सेवन के कारण लगातार सामने आ रही है। इसी कारण जैविक खेती को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। जैविक विधि से तैयार उत्पादों के सेवन से स्वास्थ्य पर खराब असर नहीं पड़ता है।

गोबर एवं गो मूत्र से तैयार जीवामृत का होता है उपयोग

ललन ने कहा, जैविक विधि से खेती में देसी गाय एवं अन्य पशुओं के गोबर, गो मूत्र द्वारा तैयार जैविक खाद, कीट नियंत्रक जीवामृत एवं अन्य ग्रोथ हार्मोन तैयार कर खेती को बढ़ावा दिया जाता है। एकल ने झारखंड के पश्चिम सिंहभूम स्थित करंजों से इस अभियान की शुरुआत की थी। इसके लिए कई प्रशिक्षण केंद्र भी बनाए गए हैं। इस अभियान से जहां एक ओर किसानों की आमदनी बढ़ रही है, स्थानीय युवकों को रोजगार मिल रहा है वहीं दूसरी ओर लोगों को पौष्टिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो रहे हैं।

जैविक उत्पादों की बढ़ी मांग

देखते-देखते जैविक उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है। बासमती चावल, सरसों तेल, हल्दी, मकई, जैविक गेहूं, अरहर दाल आदि उत्पादों की मांग तो दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेश में भी है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं इंग्लैड में रहने वाले एकल फाउंडेशन से जुड़े परिवारों में इसकी काफी मांग है। रांची में ऐसे उत्पादों के लिए एक बिक्री केंद्र भी खोला गया है। ललन शर्मा ने कहा कि मांग के अनुसार इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।


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