यूजीसी नहीं करती डिग्री की समकक्षता का निर्धारण, हाई कोर्ट में दिया जवाब
Jharkhand High Court. पीजीटी शिक्षक नियुक्ति मामले की सुनवाई के दौरान मध्यकालीन इतिहास व प्राचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष मानने पर कोर्ट ने मांगा था जवाब।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 05:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 07:53 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति में इतिहास की डिग्री के विवाद को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने यूजीसी के जवाब के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यूजीसी की ओर से अदालत को बताया गया कि डिग्री की समकक्षता निर्धारित करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इस पर विश्वविद्यालय या सरकार ही निर्णय ले सकती है।
पूर्व में अदालत ने यूजीसी से पूछा था कि मध्यकालीन इतिहास व प्राचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष माना जाए या नहीं। दरअसल, जेएसएससी की ओर से हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया था। उसमें अभ्यर्थी के लिए स्नातक में इतिहास की योग्यता रखी गई थी। इस नियुक्ति में प्राचीन व मध्य इतिहास की डिग्री प्राप्त करने वालों ने भी आवेदन दिया, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
सुनवाई के दौरान जेएसएससी ने कहा कि प्राचीन व मध्यकालीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है। इसलिए प्रार्थी के आवेदन को खारिज कर दिया गया है। इस दौरान जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस सिंह ने पक्ष रखा। वहीं, प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता नागमणि तिवारी ने पक्ष रखा। बता दें कि इस संबंध में अशोक कुमार द्विवेदी सहित अन्य अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती दी है।
पूर्व में अदालत ने यूजीसी से पूछा था कि मध्यकालीन इतिहास व प्राचीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष माना जाए या नहीं। दरअसल, जेएसएससी की ओर से हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला गया था। उसमें अभ्यर्थी के लिए स्नातक में इतिहास की योग्यता रखी गई थी। इस नियुक्ति में प्राचीन व मध्य इतिहास की डिग्री प्राप्त करने वालों ने भी आवेदन दिया, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
सुनवाई के दौरान जेएसएससी ने कहा कि प्राचीन व मध्यकालीन इतिहास को इतिहास के समकक्ष नहीं माना जा सकता है। इसलिए प्रार्थी के आवेदन को खारिज कर दिया गया है। इस दौरान जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस सिंह ने पक्ष रखा। वहीं, प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता नागमणि तिवारी ने पक्ष रखा। बता दें कि इस संबंध में अशोक कुमार द्विवेदी सहित अन्य अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती दी है।
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