Chandrayaan 2: बगल में पीएम, निगाहों में चांद की हलचल; इसरो में रांची के दो विद्यार्थी
चंद्रयान 2 की लैंडिंग देखने इसरो पहुंचे रांची के दो विद्यार्थियों के परिजन शाम से टकटकी लगाए टीवी पर चिपके हुए हैं। फोन पर दोस्त और रिश्तेदार बधाई दे रहे हैं।
रांची, जासं। चंद्रयान-2 की लैंडिग पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। इस लैंडिग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देखने के लिए देशभर से बच्चों को बुलाया गया है। इन बच्चों में रांची से दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्रणव और संत थॉमस स्कूल की मृदुला भी शामिल हैं। इस मौके पर प्रणव ने फोन पर बताया कि उसके लिए शुक्रवार का दिन काफी उत्साहपूर्ण रहा। रात 9 बजे उसे इसरो के टेलीकास्ट स्टेशन में बुलाया गया है। वहीं मृदुला ने बताया कि यह उसकी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण दिन है। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वो प्रधानमंत्री के साथ चंद्रयान-2 की लैंडिग देख सकेगी।
इसरो से प्रणव ने फोन पर बताया कि उसका सपना स्पेस साइंटिस्ट बनने का था। इसरो आकर उसे अपना सपना पूरा होता दिख रहा है। इसरो में हर चीज के प्रबंधन में संरक्षण और कार्यकुशलता दिखाई देती है। यहां जल संरक्षण के लिए काफी अच्छा प्रबंध किया गया है। इसके साथ ही साफ-सफाई की व्यवस्था भी काफी अच्छी है। वहीं मृदुला ने कहा कि वो अपने पिता के साथ इसरो आई है। इसरो में उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। वह डॉक्टर बनना चाहती हैं। इसरो में आकर कुछ बड़ा करने के उनकी चाहत और बढ़ गई है।
शाम से घर पर पूरा परिवार देख रहा टीवी
रांची में मृदुला की मां हंसमनी देवी ने कहा कि उनको आज काफी गर्व हो रहा है कि उनकी बेटी प्रधानमंत्री के साथ चंद्रयान-2 की लैंडिग देख रही है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी के कारण मुहल्ले के लोग उनके घर आकर उन्हें बधाई दे रहे है। मृदुला के घर पर उनके परिवार के सभी लोग इक्कठा हैं। उनके चाचा आदित्य कुमार तिवारी ने कहा कि मृदुला ने उनके पूरे परिवार का नाम रौशन किया है। उसमें कुछ करने की चाहत शुरु से थी। मृदुला के घर पर उसके परिवार के सभी लोग शाम से ही टीवी पर लैंडिग का लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए बैठे हुए हैं। उनकी चाची संध्या तिवारी ने कहा कि जब संध्या इसरो से वापस घर आयेगी तो वो उसके लिए अपने हाथों से कुछ मीठा बनाकर खिलाएंगी।
फोन पर परिवार और दोस्त दे रहे बधाई
प्रणव के पिता परमात्मा सिंह ने बताया कि प्रणव के साथ केवल एक अभिभावक को इसरो आने का खर्च सरकार की तरफ से दिया गया था। मगर वो अपने पैसे से उनकी मां को भी लेकर आये हैं। इस वक्त रांची में घर पर कोई नहीं है। दोस्त और रिश्तेदार फोन करके बेटे की इस उपलब्धि पर बधाई दे रहें हैं। हमें आज अपने बेटे पर गर्व है। उसके कारण ही हमें भी इसरो में आने का मौका मिला है।