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विधानसभा नियुक्ति घोटाले में दो पूर्व स्पीकरों ने भेजा नोटिस का जवाब

झाविमो के छह विधायकों के दलबदल मामले पर निर्णय के बाद विधानसभा सचिवालय नियुक्ति घोटाले की जांच में तेजी आ सकती है।

By Edited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 06:41 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 12:31 PM (IST)
विधानसभा नियुक्ति घोटाले में दो पूर्व स्पीकरों ने भेजा नोटिस का जवाब
विधानसभा नियुक्ति घोटाले में दो पूर्व स्पीकरों ने भेजा नोटिस का जवाब
रांची, प्रदीप सिंह: झाविमो के छह विधायकों के दलबदल मामले पर निर्णय के बाद विधानसभा सचिवालय नियुक्ति घोटाले पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है। इस बाबत विधानसभा सचिवालय ने दो सप्ताह पहले दो पूर्व विधानसभा अध्यक्षों आलमगीर आलम और इंदर सिंह नामधारी को नोटिस भेजा था। दोनों पूर्व विधानसभा अध्यक्षों से बिंदुवार सवालों का जवाब मांगा गया था। दोनों के खिलाफ विधानसभा की पूर्व में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम और इंदर सिंह नामधारी ने अपने स्तर से नोटिस का जवाब भेजने की पुष्टि भी की है।
विधानसभा सचिवालय को उनका पत्र भी मिल गया है। अब इनके जवाब के आलोक में विधानसभा सचिवालय आगे की कार्रवाई की तैयारी करेगा। इसके अलावा विधानसभा सचिवालय के उन आधा दर्जन वरीय अधिकारियों ने भी नोटिस का जवाब भेजा है जिन्हें सचिवालय ने नोटिस भेजा था। गौरतलब है कि विधानसभा के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी, पूर्व स्पीकर आलमगीर आलम व तीन पूर्व विधानसभा सचिवों सहित आधा दर्जन से ज्यादा वरीय अफसरों से जवाब-तलब किया गया है। सभी विधानसभा की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल थे। आरोप था कि सभी ने तमाम प्रक्रियाओं को नजरंदाज करते हुए लगभग 600 नियुक्तियां की।
दावा, प्रक्रिया के तहत सारी नियुक्ति विधानसभा सचिवालय को भेजे गए जवाब में दोनों पूर्व विधानसभा अध्यक्षों ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई। सभी नियुक्तियों में प्रक्रिया का पालन किया गया। अनियमितता की पुष्टि किसी स्तर पर नहीं होती है। राजभवन से होते हुए रिपोर्ट पहुंची है विधानसभा विधानसभा में नियुक्ति घोटाले फाइल राजभवन होते हुए पहुंची है। इसकी जांच का आदेश पूर्व राज्यपाल सैय्यद सिब्ते रजी ने अपने कार्यकाल में दिया था। जस्टिस लोकनाथ प्रसाद इस बाबत गठित जांचआयोग केअध्यक्ष बनाए गए थे। उन्होंने जाच में विधानसभा सचिवालय के स्तर से सहयोग नहीं मिलने के कारण काम छोड़ दिया था। इसके बाद अवकाशप्राप्त जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को जाच आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। आयोग ने राजभवन को जाच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें नियुक्ति घोटाले के विभिन्न बिंदुओं की ओर इशारा किया गया था। राजभवन ने कार्रवाई के लिए इसे विधानसभा सचिवालय को भेज दिया।

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