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मोरहाबादी में दम घुटने से दो बच्चों की मौत, गया का रहने वाला है परिवार, ठेला पर बेचता है लिट्टी व समोसा

मोरहाबादी में दम घुटने से दोनों बेटों की मौत के बाद रिम्स में इलाजरत माता-पिता की हालत खतरे से बाहर है। उन्होंने बताया कि कमरे में चूल्हा जल रहा था। इसी बीच कमरे में दुआं भर गया, जिसमें दम घुटकर बच्चों की मौत हो गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:33 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:33 AM (IST)
मोरहाबादी में दम घुटने से दो बच्चों की मौत, गया का रहने वाला है परिवार, ठेला पर बेचता है लिट्टी व समोसा
मोरहाबादी में दम घुटने से दो बच्चों की मौत, गया का रहने वाला है परिवार, ठेला पर बेचता है लिट्टी व समोसा

राज्य ब्यूरो, रांची : मोरहाबादी में दम घुटने से दोनों बेटों की मौत के बाद रिम्स में इलाजरत बीमार पिता सुभाष साव ने पुलिस को बयान दिया है। उसने बताया है कि वे बिहार के गया जिले के टेकारी थाना क्षेत्र के छठमा के रहने वाले हैं। रांची में न्यू एरिया मोरहाबादी में हरेंद्र पासवान के घर में अपनी पत्नी व दोनों बच्चों के साथ किराए पर रहते थे। बड़ा बेटा पप्पू अंतू चौक के समीप ही सरकारी विद्यालय में सातवीं में पढ़ता था, जबकि छोटा बेटा विक्रम क्लास एक में था। सुभाष मोरहाबादी में बिजली ऑफिस के पास ठेला पर लिट्टी व समोसा बेचते हैं। शुक्रवार रात को परिवार के सभी सदस्य खाना खाने के बाद सो गए। सुबह में पप्पू जगा और मां को बोला कि मन ठीक नहीं लग रहा : शनिवार की भोर करीब चार बजे बड़ा लड़का पप्पू जगा और अपनी मां के पास आकर बोला कि मन ठीक नहीं लग रहा है। छोटा लड़का सोया ही रह गया। इसके बाद मां को भी उल्टी होने लगी। दोनों बेहोश हो गए। सुभाष भी बेहोश जैसा हो गए और उनसे भी उठा नहीं जा रहा था। सुबह करीब आठ बजे पड़ोस में रहने वाले रिश्तेदार महाराजा साव का बेटा पवन आया तो सबको बेहोश देखकर सभी को रिम्स पहुंचाया। दोनों बच्चों को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि सुभाष व उनकी पत्नी खतरे से बाहर हैं। कमरे में जल रहा था कोयले का चूल्हा : जिस कमरे में परिवार के लोग सोए थे उसी कमरे में समोसा के लिए आलू उबाला जा रहा था। कमला देवी ने कोयले के चूल्हे पर उबलने के लिए आलू चढ़ाया था। चूल्हा जल रहा था, इससे आशंका जताई जा रही है कि कोयले के धुएं से दम घुटने से ही दोनों बच्चों की मौत हुई है। सांस में धुएं को लेने से हुई मौत

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डॉक्टरों का कहना है कि सांस के जरिए धुएं को लेने से मौत होना स्वाभाविक है। चूंकि बंद कमरे में जब चूल्हा जल रहा होता है तो उसे जलने के लिए अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऐसे में जब ऑक्सीजन की कमी हो जाए और फिर धुआं भी कमरे में फैल जाए तो सांस लेने में कठिनाई होगी। जब कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा महज 6 फीसदी ही रह जाए तो व्यक्ति की मौत हो सकती है।

चूल्हे में जलाये जानेवाला कोयला और प्लास्टिक आदि से कमरे में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और धीरे-धीरे यह ऑक्सीजन को रिप्लेस कर देता है। ऐसे में व्यक्ति ऑक्सीजन की जगह खतरनाक कार्बन मोनो ऑक्साइड और फोसजीन जैसी खतरनाक गैस को श्वास के जरिए लेने लगता है। ऐसे में पहले आंखें चुभती हैं और फिर दम घुटने लगता है। ऑक्सीजन की मात्रा (प्रतिशत में) व्यक्ति की स्थिति

21 सामान्य

17 कंफ्यूजन की अवस्था में जाना

12 सिर दर्द, उल्टी

9 अचेत होना

6 दिल का दौरा पड़ना, मौत


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