साहिबगंज में टर्मिनल बनाने में परेशानी, गुंडे मांग रहे पैसे
साहिबगंज में टर्मिनल निर्माण के लिए 180 एकड़ जमीन अधिग्रहण होनी है, जिनमें राज्य सरकार ने 70 एकड़ जमीन हस्तांतरित कर दी है।
राज्य ब्यूरो, रांची। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकार (आइडब्यूएआइ) ने साहिबगंज में जल यातायात को लेकर बन रहे मल्टी मॉडल टर्मिनल के लिए सुरक्षा की मांग की है। सोमवार को पहली बार रांची में हुई प्रोजेक्ट ओवरसाइट कमेटी (जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट) की बैठक में आइडब्ल्यूएआइ के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार से कहा कि निर्माण कार्य शुरू होते ही कुछ स्थानीय अराजक तत्व निर्माण कार्य में लगे एलएंडटी कंपनी के पदाधिकारियों को पैसे, नौकरी या काम देने को लेकर परेशान करने लगे हैं।
ऐसा साहिबगंज के अलावा हल्दिया (पश्चिम बंगाल) में भी हो रहा है। इसके लिए पदाधिकारियों ने राज्य सरकार, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। आइडब्ल्यूएआइ के उपाध्यक्ष प्रवीर पांडेय ने बैठक में उठे मुद्दे की जानकारी देते हुए कहा कि जब वाराणसी से हल्दिया तक गंगा नदी में बहुतायत में जहाजों का आवागमन शुरू होगा तो सुरक्षा की समस्या और बढ़ेगी। इसके लिए राज्य सरकारों को रिवर पुलिस फोर्स गठन करने का सुझाव दिया गया। कहा कि बैठक में जमीन अधिग्रहण पर भी चर्चा हुई।
साहिबगंज में टर्मिनल निर्माण के लिए 180 एकड़ जमीन अधिग्रहण होनी है, जिनमें राज्य सरकार ने 70 एकड़ जमीन हस्तांतरित कर दी है। इसके लिए 130 करोड़ रुपये राज्य सरकार को प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। 50 एकड़ जमीन और शीघ्र उपलब्ध होने की उम्मीद है। मार्च- 2019 तक टर्मिनल का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल को साहिबगंज में मल्टी मॉडल टर्मिनल का शिलान्यास किया था। बैठक में प्राधिकार के सदस्य आलोक रंजन, श्रीकांत महियारिया, एसके गंगवार, झारखंड से निदेशक भू-परिमाप, संयुक्त परिवहन आयुक्त शेखर जमुआर, साहिबगंज के एसी अनमोल कुमार व अन्य राज्यों के पदाधिकारी शामिल थे।
275 परिवार हो रहे प्रभावित
बैठक में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि साहिबगंज में टर्मिनल निर्माण से 275 परिवार प्रभावित हो रहे हैं। उनके पुनर्वास के लिए 15 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है, जिसके लिए प्राधिकार ही धनराशि दे रहा है। उसमें मकान, स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र आदि निर्माण के लिए उपायुक्त को राशि देने का निर्णय लिया गया है। 123 परिवारों को मुआवजा दिया जा चुका है। पदाधिकारियों ने कहा कि विस्थापितों को नौकरी देने का प्रावधान नहीं है। टर्मिनल के निर्माण में अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को काम में लगाने का निर्देश एजेंसी को दिया गया है।
1,400 किमी का तैयार होगा वाटरवेज
जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट के तहत 5,369 करोड़ की लागत से वाराणसी से हल्दिया तक 1,400 किमी वाटरवेज का निर्माण होगा। इसपर 1,500 से 2,000 टन क्षमता वाला जहाज चलेगा। सोलह पहिया वाले 125 ट्रक या एक मालगाड़ी का भार एक जहाज में ले जाया जा सकेगा। बैठक के बाद मीडिया को यह जानकारी देते हुए आइडब्ल्यूएआइ के उपाध्यक्ष ने कहा कि देश में अबतक जलमार्ग पर ध्यान नहीं दिया गया।
वर्तमान केंद्र सरकार ने इसपर ध्यान देते हुए काफी काम किया है। आठ-दस साल में यातायात का पूरा परिदृश्य बदल जाएगा। साहिबगंज में 467 करोड़ की लागत से बन रहे टर्मिनल से 45 हजार को प्रत्यक्ष व 90 हजार को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इस टर्मिनल के माध्यम से राजमहल से कोयला तथा गोड्डा, पाकुड़ से स्टोन चिप्स निर्यात किए जा सकेंगे। गंगा नदी के इस वाटरवेज के लिए छह जगहों पर रिवर इन्फारमेशन सिस्टम विकसित किया जा रहा है।
बिहार के डोरीगंज में शिपयार्ड आइडब्ल्यूएआइ के पदाधिकारियों ने बताया कि शुरू में दुविधा के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पटना में टर्मिनल निर्माण पर स्वीकृति दे चुके हैं। छपरा के डोरीगंज में शिपयार्ड निर्माण की भी योजना है। वाराणसी में जमीन अधिग्रहण धीमी गति से हो रहा है। 33 हेक्टेयर में 15 हेक्टेयर जमीन ही मिली है। उसमें तेजी लाने को कहा गया है।
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