सरसों की खेती से आदिवासी किसान बढ़ा रहे आय
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) की ओर से आदिवासी किसानों की आय बढ़ाने के लिए बीएयू प्रयास कर रहा है।
जागरण संवाददाता, रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) की ओर से आदिवासी किसानों की आय बढ़ाने के लिए ट्राइबल सब प्लान चलाया जा
रहा है। इस परियोजना के तहत रांची जिले के चिपरा, कुदालॉग और पतराटोली के किसानों को तिलहन फसल में सरसो की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीएयू और केवीके के कृषि वैज्ञानिकों की ओर से इस गांव में सप्ताह में एक बार कैंप लगाया जा रहा है। यहां के किसानों को सरसो की वैज्ञानिक बोआइ से लेकर फसल काटने तक में मदद दी जा रही है। इस प्रोजेक्ट के बारे में कृषि एक्सटेंसन की विभागाध्यक्ष डॉ निभा बारा ने बताया कि किसानों को भरतपुर स्थित सरसो अनुसंधान केंद्र की विकसित भारत सरसो खेती के लिए दिया गया है।
उन्होंने बताया कि फसल लगाने से पहले खेत तैयार करने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों की सहायता से एक दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद हर पंद्रह दिनों में एक बार कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। इसके बीच में सप्ताह में एक बार वैज्ञानिक किसानों के साथ फिल्ड विजिट करते हैं। किसानों को सरसो की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बीएयू की तरफ से खाद भी उपलब्ध कराया जाता है।
इस योजना के तहत अभी तक 150 से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण के लिए भरतपुर के सरसो अनुसंधान केंद्र में भेजा गया है। किसानों को दिया जाने वाला भारत सरसो की पैदावार आम सरसो से 40 प्रतिशत तक ज्यादा है। इसके पौधे 4.5 फीट से ज्यादा लंबे होते हैं। इस योजना का लाभ छोटे, सीमांत तथा भूमिहीन किसानों को मिल रहा है।
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हमलोग पहले सरसो को केवल खेत में छींटकर छोड़ देते थे। लेकिन अब वैज्ञानिक तरीके से क्यारी बनाकर सरसो लगाते हैं। पिछले साल मेरी फसल काफी अच्छी हुई थी। इस साल भी बीएयू की सहायता से सरसो लगा रहा हूं।
सुकरा उरांव, किसान सरसो की खेती से हमारी आय काफी बढ़ी है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का हमे फायदा मिला है। मैंने एक बार भरतपुर में जाकर प्रशिक्षण भी लिया है। मेरी फसल को देखकर गांव के कई किसान इस साल सरसो की खेती कर रहे हैं।
दुखना उरांव, किसान समय-समय पर वैज्ञानिकों के द्वारा हमें प्रशिक्षण दिया जा है। इससे हमारा उत्साह बना हुआ रहता है। खेती में कोई दिक्कत होने पर किसान अपनी समस्या का समाधान तुरंत कर लेते हैं। इसके साथ ही खाद और कीटनाशक के प्रयोग की मात्रा पर भी हमें गाईड मिलता है।
संजय, किसान