झारखंड सरकार के बड़े हाकिमों को पसंद नहीं अंगूठा लगाना, बायोमीट्रिक से हाजिरी लगाना शान के खिलाफ..
झारखंड में सचिव स्तर के कई अफसर बायोमीट्रिक से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराते।
रांची, विनोद श्रीवास्तव। झारखंड में कायदा-कानून ताक पर है। अपने मातहतों की नाफरमानी पर तुरंत एक्शन लेने और कार्रवाई की गाज गिराने वाले बड़े हाकिम खुद के ही बनाए नियमों को अंगूठा दिखा रहे हैं।
अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य संस्कृति में सुधार लाने और पारदर्शिता के निमित्त सरकार ने शीर्ष स्तर के पदाधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मियों के लिए बायोमीट्रिक अटेंडेंस बनाने का सख्त निर्देश दे रखा है।
इससे इतर जिन अफसरों को यह निर्देश अंतिम कर्मी तक सुनिश्चित कराने की जवाबदेही सौंपी गई है, वही इसे धता बता रहे हैं। अखिल भारतीय सेवा के अधिसंख्य अफसर इस पद्धति से अपनी उपस्थिति दर्ज कराना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। झारखंड सरकार का अटेंडेंस.झारखंड.जीओवी.इन इसकी बानगी है।
सीएम ने दे रखा है अनुपस्थित करने का आदेश : यह स्थिति तब है, जब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्वयं इस व्यवस्था की अवहेलना करने वाले अफसरों और कर्मचारियों का वेतन तक काटने का आदेश दे रखा है। उन्होंने उपस्थिति के बावजूद अटेंडेंस नहीं बनाने वाले कर्मियों को अनुपस्थित घोषित करने तक का आदेश दे रखा है।
वन और पुलिस विभाग ने किया था विरोध : शुरुआत में वन और पुलिस जैसे कुछ विभागों के कर्मचारियों ने इस पद्धति का जमकर विरोध किया था, जो क्षेत्र भ्रमण के नाम पर कार्यालय से अक्सर गायब रहा करते थे।
इस बीच जब आरएस शर्मा ने मुख्य सचिव पद की कमान संभाली, सभी के लिए इस पद्धति से अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया। पत्र के जरिए विभागों के प्रधान सचिवों/सचिवों को पत्र लिखकर उन्होंने इसे सुनिश्चित कराने की जवाबदेही सौंपी। आरएस शर्मा खुद इस पद्धति से अटेंडेंस बनाते थे। तब अखिल भारतीय सेवा के अन्य
अफसर भी इस मुहिम में शामिल थे।
13 बड़े अधिकारियों ने एक दिन भी दर्ज नहीं की उपस्थिति : भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अफसरों में से 13 ने इस माह अब तक बायोमीट्रिक पद्धति से एक दिन भी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है। एक अधिकारी ने सिर्फ एक दिन तो अन्य बड़े अधिकारियों में एक ने 9, दूसरे ने 10 तथा तीसरे ने 14 दिन उपस्थिति दर्ज कराई है।
(आकड़े 01-22 अगस्त तक के हैं। आठ दिन सार्वजनिक अवकाश था। सिर्फ ऊर्जा सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी की उपस्थिति शत प्रतिशत है)।
अटेंडेंस बनाने में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर अव्वल : बायोमीट्रिक पद्धति से उपस्थिति दर्ज कराने के मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर अव्वल हैं। औसतन 80-85 फीसद अफसर इस पद्धति से अटेंडेंस बना रहें हैं। इनमें अवर सचिव से लेकर संयुक्त सचिव स्तर के शामिल हैं। इससे इतर सीएमओ और सीएसओ में पदस्थापित इस सेवा के अफसर अटेंडेंस बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।
यहा अटेंडेंस का खौफ भी, समय से पहले पहुंच रहे 57 फीसद कर्मी : राज्य के आला अफसर जहा खुद को इस पद्धति से अटेंडेंस बनाना शान के खिलाफ समझते हैं, वहीं निचले स्तर के कर्मियों में इसका खौफ भी है। बायोमीट्रिक अटेंडेंस के लिए निबंधित कर्मियों में से 57 फीसद कर्मी ऐसे हैं, जो 10 बजे से पहले ही दफ्तर पहुंच रहे हैं। 30 फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति 11 बजे के करीब, छह फीसद की 10 से 11 बजे के बीच, जबकि सात फीसद कर्मियों की उपस्थिति 10 से 10.30 के बीच बन रही है।
1.62 लाख कर्मियों का निबंधन, 69 हजार हैं निष्क्रिय : झारखंड के एक लाख 61 हजार 867 पदाधिकारी-कर्मचारी इस पद्धति से अटेंडेंस बनाने के लिए निबंधित हैं, जिनमें से 68559 निष्कि्त्रय हैं। सरकार के 5350 दफ्तरों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस के लिए 379 मशीनें लगी हैं। राज्य स्तर के दफ्तरों को छोड़कर क्षेत्रीय कार्यालयों में पदस्थापित सरकार के पदाधिकारी-कर्मचारी औसतन 10.13 मिनट पर दफ्तर आ रहे हैं, औसतन 4.54 मिनट पर कार्यालय छोड़ रहे हैं।