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पशु चिकित्सकों के सम्मेलन का आज दूसरा दिन, इलाज की नई तकनीक पर होगी चर्चा

पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित रिफ्रेशर कोर्स कम ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दूसरे दिन पशुओं के इलाज की नई तनीकों पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मंगलवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने करते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 08:48 AM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 08:48 AM (IST)
पशु चिकित्सकों के सम्मेलन का आज दूसरा दिन, इलाज की नई तकनीक पर होगी चर्चा
पशु चिकित्सकों के सम्मेलन का आज दूसरा दिन, इलाज की नई तकनीक पर होगी चर्चा। जागरण

रांची, जासं । पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित रिफ्रेशर कोर्स कम ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दूसरे दिन पशुओं के इलाज की नई तनीकों पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मंगलवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने करते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि अगले चार वर्षों में 24 लाख लोगों को कृषि क्षेत्र से जोड़े। वहीं आज रांची वेटनरी कालेज के डीन सुशील प्रसाद ने बताया कि प्रशिक्षण के दूसरे दिन  पशुओं के इलाज की नई तकनीक पर चर्चा होगी। इसमें हम पशुओं को असाध्य रोगों पर चर्चा करेंगे जिनका इलाज अब संभव है। हम रेडियोलाजी का इस्तेमाल करके पशुओं की चिकित्सा को कैसे सुगम बनाए इसपर भी फोकस करेंगे।

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डा सुशील प्रसाद ने कहा कि राज्य में आधुनिक पशु-चिकित्सालय की कमी है। ऐसे में तकनीक सिखने के बाद चिकित्सकों को उनके प्रैक्टिस के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार को पशुओं की प्रतिबंधित दवा बिक्री पर रोक लगाने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन दवा की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। रांची में पशुओं के चारा विक्रेता धड़ल्ले से विभिन्न प्रकार के पशु दवा बेच रहे हैं।

चारा के थोक एवं खुदरा विक्रेताओं द्वारा बिना औषधि अनुज्ञप्ति के प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन दवा के साथ सस्ते बिना गुणवत्ता वाले पशु दवाइयों को औने पौने दाम में पशुपालक को गलत जानकारी दें कम पैसे में उपलब्ध करवा रहे हैं। इससे पशुओं के जान माल के नुकसान के साथ-साथ दूध की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कृषि और पशुपालन से जुड़ी कई लाभकारी योजनाएं सरकार के द्वारा ग्रामीण और किसानों के लिए चलाई जा रही है। मगर सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन्हें धरातल पर उतारने की है। इसमें सरकारी आधिकारियों के साथ ग्रामीणों की भी मदद लेने की जरूरत है।


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