यौन शोषण मामले में विधायक प्रदीप यादव को झटका, झारखंड HC ने खारिज की जमानत याचिका
Jharkhand. महिला नेत्री के यौन शोषण मामले में झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत देने की गुहार लगाई थी।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 10:50 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। अपनी ही पार्टी के महिला नेत्री के यौन शोषण मामले में आरोपित जेवीएम विधायक प्रदीप यादव को हाई कोर्ट से मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एके चौधरी की अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि एक महिला अधिवक्ता के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया है। पुलिस जांच में प्रदीप यादव पर गंभीर आरोप बनता है, इसलिए अदालत इन्हें अग्रिम जमानत नहीं दे सकती है। इसी के बाद अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान प्रदीप यादव की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने अदालत को बताया कि 20 अप्रैल 2019 को देवघर के एक होटल में घटना हुई थी। इसके बाद भी पीडि़ता 20 से 23 अप्रैल तक उसी होटल में ठहरी रही, लेकिन प्राथमिकी नहीं दर्ज कराई। इस मामले में तीन मई को प्राथमिकी दर्ज कराई। इससे प्रतीत होता है कि पीडि़ता ने सोची समझी साजिश के तहत प्रदीप यादव पर मामला दर्ज कराया है।
इसका पीडि़ता की अधिवक्ता की ओर से विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में पीडि़ता के साथ फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी संलग्न की गई है। इसके अलावा विधायक होने के नाते प्रदीप यादव इस मामले में साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसलिए इन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जाए।
दोनों पक्षों को सुनने अदालत ने माना कि पुलिस की जांच में विधायक पर गंभीर आरोप बनता है, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है। बता दें कि जेवीएम की महिला नेत्री ने विधायक प्रदीप यादव पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए देवघर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। निचली अदालत ने प्रदीप यादव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। इसी आदेश के खिलाफ इन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
प्रदीप यादव के पास अब ये हैं विकल्प
हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद प्रदीप यादव के पास कई विकल्प हैं। कानूनी जानकारों की माने तो हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं और जमानत की गुहार लगा सकते हैं या फिर उन्हें निचली अदालत में सरेंडर करना होगा। जहां नियमित जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। फिलहाल उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदीप यादव निचली अदालत में सरेंडर कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान प्रदीप यादव की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने अदालत को बताया कि 20 अप्रैल 2019 को देवघर के एक होटल में घटना हुई थी। इसके बाद भी पीडि़ता 20 से 23 अप्रैल तक उसी होटल में ठहरी रही, लेकिन प्राथमिकी नहीं दर्ज कराई। इस मामले में तीन मई को प्राथमिकी दर्ज कराई। इससे प्रतीत होता है कि पीडि़ता ने सोची समझी साजिश के तहत प्रदीप यादव पर मामला दर्ज कराया है।
इसका पीडि़ता की अधिवक्ता की ओर से विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में पीडि़ता के साथ फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी संलग्न की गई है। इसके अलावा विधायक होने के नाते प्रदीप यादव इस मामले में साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसलिए इन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जाए।
दोनों पक्षों को सुनने अदालत ने माना कि पुलिस की जांच में विधायक पर गंभीर आरोप बनता है, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है। बता दें कि जेवीएम की महिला नेत्री ने विधायक प्रदीप यादव पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए देवघर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। निचली अदालत ने प्रदीप यादव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। इसी आदेश के खिलाफ इन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
प्रदीप यादव के पास अब ये हैं विकल्प
हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद प्रदीप यादव के पास कई विकल्प हैं। कानूनी जानकारों की माने तो हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं और जमानत की गुहार लगा सकते हैं या फिर उन्हें निचली अदालत में सरेंडर करना होगा। जहां नियमित जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। फिलहाल उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदीप यादव निचली अदालत में सरेंडर कर सकते हैं।
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