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Jharkhand weather: झारखंड में वज्रपात का कहर.. एक हफ्ते में 14 लोगों की मौत... जानिए, किस वर्ष कितने लोगों की गई जान

Jharkhand Thunderstorm झारखंड में मानसून सक्रिय होते ही वज्रपात की घटनाएं शुरू हो गई हैं। विभिन्न जिलों से मौत की सूचनाएं आने लगी हैं। एक सप्ताह में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में सावधानी बरतने की ज्यादा जरूरत है। आइए जानते हैं मुआवजे का प्रविधान।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 04:37 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 04:39 PM (IST)
Jharkhand weather: झारखंड में वज्रपात का कहर.. एक हफ्ते में 14 लोगों की मौत... जानिए, किस वर्ष कितने लोगों की गई जान
Jharkhand weather: झारखंड में वज्रपात का कहर.. जानिए, किस वर्ष कितने लोगों की गई जान

रांची, डिजिटल डेस्क। पहाड़ों और जंगलों से घिरे झारखंड में हर साल बड़े पैमाने पर लोगों की मौत वज्रपात के कारण हो जाती है। झाारखंड सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों की जान जा रही है। सरकारी कवायद बेहतर साबित नहीं हो रही है। इस समय मानसून सक्रिय हो गया है। आसमान से बिजली गिरने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे में आए दिन मौत की सूचनाएं भी आ रही हैं। पिछले एक सप्ताह के भीतर वज्रपात से झारखंड में करीब 14 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। आलम यह है कि झारखंड सरकार हर वर्ष करीब 11 करोड़ रुपये मृतकों के स्वजन को मुआवजा देने पर खर्च करती है।

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मौत होने पर मुआवजा भी देती है सरकार

झारखंड सरकार इसे प्राकृतिक आपदा मानती है। इसलिए सरकार ने यहां वज्रपात से मौत होने, घर क्षतिग्रस्त होने, अपंग होने और पशुधन की हानि होने पर मुआवजा देने का प्रविधान कर रखा है। वज्रपात का शिकार होने पर लोग स्थानीय प्रशासन को आवेदन करते हैं। इसके बाद जिला स्तर से यह राशि पीड़ित परिवार को मुहैया कराई जाती है। सरकार की ओर से अधिकतम चार लाख रुपये देने का प्रविधान है। यह रुपये मौत के बाद स्वजन को दिए जाते हैं। पशुधन की हानि पर सरकार की ओर से 30 हजार रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। इसी तरह से मकान क्षतिग्रस्त होने पर सरकार एक लाख रुपये तक मुआवजा देती है। इसमें देखा जाता है कि मकान किस चीज का बना था। कितना नुकसान हुआ है। वज्रपात से अगर कोई व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है तो उसे भी मुआवजा देने का नियम है। ऐसे लोगों को सरकार की ओर से दो लाख रुपये तक दिए जाते हैं।

राज्य के पांच जिले सबसे अधिक संवेदनशील

वैसे तो झारखंड के सभी जिले वज्रपात के लिए बेहद संवेदनशील माने जाते हैं, लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं कि वहां सबसे अधिक वज्रपात की घटनाएं होती हैं। मानसून के समय इन जिलों में बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है। कहा जाता है कि इन जिलों में जमीन के नीचे सर्वाधिक खनिज संपदा है, इस कारण वज्रपात की घटनाएं अधिक होती हैं। इन संवेदनशील जिलों में रांची, हजारीबाग, खूंटी, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम जिले शामिल हैं। इन जिलों को वज्रपात जोन कहा जाता है। इनमें भी सबसे ज्यादा संवेदनशील हजारीबाग है।

झारखंड में इस समय दो तरह के वज्रपात जोन

विशेषज्ञों की मानें तो झारखंड में दो तरह के वज्रपात जोन हैं। पहला- कम ऊंचाई के बादल वाले वज्रपात जोन। ऐसे जोन में करीब 80 किलोमीटर तक की ऊंचाई में वज्रपात की घटनाएं होती हैं। वहीं दूसरा- माइक्रोस्पेरिक वज्रपात। यह वह जोन है जहां जमीन से 80 किलोमीटर की दूरी से अधिक ऊंचाई पर वज्रपात की घटनाएं होती हैं। मालूम हो कि झारखंड सरकार की ओर से वज्रपात से तीन घंटे पहले मोबाइल पर लोगों को चेतावनी भी भेजी जाती है, ताकि लोग अलर्ट हो जाएं। जान-माल की क्षति कम से कम हो। बावजूद खेतों में काम कर रहे अधिकतर लोग इसकी चपेट में आ ही जाते हैं।

वज्रपात से बचने के लिए यह उपाय जरूर करें

  • मौसम खराब होते ही खुल मैदान से निकल कर पक्के मकान में चले जाएं।
  • विशाल पेड़, टावर, बिजली खंभा आदि के नीचे खड़ा नहीं होना चाहिए।
  • सबसे बेहतर उपाय है कि सूखी लकड़ी पर बैठ जाएं। पैर जमीन से टच नहीं होने दें।
  • बेहतर होगा कि आप प्लास्टिक पर पैर रखें और सिर पर भी प्लास्टिक का बोरा आदि ओढ लें।
  • जिस छाता में लोहा की डंटी हो उसे कतई इस्तेमाल नहीं करें।
  • मोबाइल का इस्तेमाल जानलेवा साबित हो सकता है। मोबाइल तुरंत बंद कर दें।
  • टीवी, फ्रिज जैसे तमाम इलेक्ट्रानिक उपकरण बंद रखना चाहिए।

साल दर साल वज्रपात से मरने वालों का आंकड़ा

  • 2010-11 : 110
  • 2011-12 : 104
  • 2012-13 : 148
  • 2013-14 : 159
  • 2014-15 : 144
  • 2015-16 : 210
  • 2016-17 : 265
  • 2017-18 : 256
  • 2018-19 : 172
  • 2019-20 : 117
  • 2021-22 : 14
  • नोट- वर्ष 21-22 का आंकड़ा जून तक का है

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