कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद चार घंटे बाद कोरोना जांच के लिए ले गई पुलिस
रांची पुलिस की टालने वाली रवैया से शुक्रवार को पोक्सो कोर्ट के कर्मी दिनभर परेशान रहे।
जागरण संवाददाता, रांची : रांची पुलिस की टालने वाली रवैया से शुक्रवार को पोक्सो कोर्ट के कर्मी दिनभर परेशान रहे। रातू में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित आफताब अंसारी को पोक्सो अदालत ने दोषी करार दिया था। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की गई सुनवाई में करीब 12.30 बजे अदालत ने दोषी करार देकर न्यायिक हिरासत में होटवार जेल भेजने का आदेश दिया, लेकिन सिविल कोर्ट परिसर स्थित हाजत के पुलिसकर्मी आरोपित को कस्टडी में लेने को तैयार ही नहीं हुए। हाजत इंचार्ज का कहना था कि जब तक आरोपित का कोरोना टेस्ट का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा। अपने कस्टडी में नहीं लेंगे। साढ़े चार बजे तक आरोपित अपने परिजनों के साथ अदालत में बैठे रहे। दोषी करार दिए जाने के बाद परिजन अदालत के अंदर ही रोना-धोना करते रहे। इस दौरान विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार राय डीएसपी से लेकर सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी तक दोषी को अदालत से ले जाने की गुहार लगाते रहे। इधर, हाजत इंचार्ज जब रातू थानेदार से मदद करने को कहा तो वहां से जवाब मिला कि मामला पुराना है। हम कुछ नहीं कर सकते हैं। आप जानिये और अदालत जाने। बाद में ग्रामीण एसपी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस लाइन से एक टीम अदालत भेजी गई। अदालत से आरोपित को कस्टडी में लेकर रिम्स ले जाया गया जहां कोरोना की जांच करायी गई। दोषी के अदालत से ले जाने के बाद कोर्ट कर्मियों ने राहत की सांस ली। इस मामले में 13 जुलाई को सजा सुनाई जाएगी। कोट
जब तक कोरोना जांच नहीं हुआ हैं? हम कैसे किसी को कस्टडी में ले सकते हैं? अगर दोषी कोरोना पॉजिटिव निकला तो हमारे पुलिसकर्मी भी संक्रमित हो सकते हैं। हमारे ऊपर ही कार्रवाई हो जाएगी। दूसरा जेल प्रशासन भी कोरोना सर्टिफिकेट देखे बिना दोषी को नहीं लेगा। यहां पुलिसकर्मियों की भी कमी है। मात्र छह लोग हैं और 38 कोर्ट है। हर जगह उपस्थित होना पड़ता है।
एएसआइ मनबोध यादव, हाजत इंचार्ज दोषी बेल पर बाहर था। सुनवाई के दौरान अदालत ने उसे दोषी करार दिया। कोरोना संक्रमण फैलने के बाद परिस्थिति बदल गई है। कस्टडी में लेने से पूर्व कोरोना जांच अनिवार्य है। इसी प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगा।
नौशाद आलम, ग्रामीण एसपी