बर्ड फ्लू के तीन संदिग्ध मरीज मिले, झारखंड में अलर्ट
Bird Flu in Jharkhand. रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में बर्ड फ्लू की जांच की व्यवस्था नहीं होने के कारण सैंपल को एनआइसीडी, कोलकाता भेजा गया है।
रांची, जेएनएन। रांची में बर्ड फ्लू के तीन संदिग्ध मामले आए हैं, जिनका ब्लड सैंपल रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने कोलकाता जांच के लिए भेजा है। रिम्स में बर्ड फ्लू की जांच की व्यवस्था नहीं होने के कारण सैंपल को एनआइसीडी, कोलकाता भेजा जाता है। ब्लड सैंपल की रिपोर्ट सोमवार तक आने की उम्मीद है। वहीं पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग का भी कहना है कि जांच के बाद ही इसकी कोई पुष्टि हो सकेगी। हालांकि, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू के लक्षण समान होते हैं। इसलिए रिम्स को जांच रिपोर्ट का इंतजार है। रिम्स के अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप का कहना है कि ऐसे मरीजों का उपचार करने के लिए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया जाता है। वहां, सामान्य मरीजों से हटकर मरीजों ऐसे मरीजों को भर्ती कराया जाता है।
वार्ड में डेंगू, स्वाइन फ्लू सहित अन्य मरीजों को भर्ती कराया जाता है। ये होते हैं लक्षण रिम्स के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. जेके मित्रा ने बताया कि बर्ड फ्लू से पीड़ित मरीज को सर्दी, खासी बुखार और अंत में रेस्पिरेटरी फेल्योर की शिकायत होती है। ऐसे मरीजों का लक्षण इनफ्लुएंजा की तरह होता है।
बिहार से सटे जिलों में खास सतर्कता
बिहार से सटे जिलों में खास सतर्कता बरती जा रही है। रिम्स में मरीजों के पहुंचने की सूचना मात्र से विभाग सक्रिय हो गया है। स्वास्थ्य सचिव ने सिविल सर्जनों को निगरानी का निर्देश दिया है। वहीं एक दिन पूर्व ही पशुपालन विभाग ने भी जिला पशुपालन अधिकारियों को इस संबंध में एहतियात बरतते हुए क्विक रिस्पांस टीम गठित करने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने शुक्रवार को सभी सिविल सर्जनों तथा मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षकों को पत्र लिखकर इसपर निगरानी रखने का निर्देश दिया था।
उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों तथा सदर अस्पतालों में इलाज के लिए आवश्यक दवा उपलब्ध रखने, सर्विलांस के इंतजाम आदि कार्रवाई करने तथा विभाग को इसकी नियमित रिपोर्ट देने को भी कहा है। इस बीच, पशुपालन निदेशक चितरंजन कुमार ने गोड्डा व बोकारो से आई रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि की बात कही है।
ये सावधानी बरतें
पक्षियों को खाली हाथ से नहीं छूना चाहिए।
भोजन के लिए 70 डिग्री से अधिक तापमान में मुर्गा पकाना होगा।
मुर्गी फार्म के मालिक हाथ ढक और नाक पर कपड़ा रख फार्म में प्रवेश करें।
मुर्गा पकाने के बर्तन अथवा भोजन को इधर उधर नहीं ले जाए।
मर चुके मुर्गा अथवा पक्षियों को खुला में नहीं छोड़े। मिंट्टी में चूना डाल दफनाएं।