रहीम को मानने वाले तैयार कर रहे राम का ध्वज
रांची रामनवमी के लिए तैयार हो रही है। आगामी दो अप्रैल को रामनवमी है। उस दिन के लिए झंडा तैयार करने का काम वर्षो से मुस्लिम समाज के लोग करते हैं।
संजय झा, रांची : रांची रामनवमी के लिए तैयार हो रही है। आगामी दो अप्रैल को निकलने वाली शोभायात्रा के लिए ध्वज तैयार करने का काम शुरू हो गया है। पिछले छह दशक से महावीरी पताका मुस्लिम समाज के लोग तैयार करते आ रहे हैं। इस बार भी रहीम को मनाने वाले राम का ध्वज तैयार करने में पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं। रामनवमी का त्यौहार हिंदुओं की आस्था और मुस्लिम समाज के रोजगार से सीधे जुड़ा हुआ है। शहर में कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी चार-चार पीढि़यां महावीरी पताका तैयार करने का काम करती आ रही हैं। त्योहार की तिथि नजदीक आने के साथ पताका तैयार करने का कार्य दिन रात चल रहा है।
परिवार के कई सदस्य बनाते हैं महावीरी झंडा
बीते 40 साल से महावीरी पताका बनाने वाले मोहम्मद गफ्फार बताते हैं कि यह त्योहार उनके लिए न सिर्फ व्यवसायिक रूप से बल्कि हिंदू भाइयों के आस्था व विश्वास से भी जुड़ा हुआ है। 59 वर्षीय गफ्फार अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के तौर पर यह कार्य कर रहे हैं। गफ्फार ने यह काम अपने पिता मोहम्मद इशाक को करते हुए देखा। धीर-धीर वह भी पताका बनाने लगे। अब परिवार की रोजीरोटी इस पर निर्भर है। गफ्फार के साथ उनके भाइयों के परिवार के सदस्य भी इसी काम से जुड़े हुए हैं। वे रामनवमी तथा सरहुल के ध्वज तैयार करते हैं। हरमू में तैयार होता है ध्वज
मोहम्मद गफ्फार के सबसे छोटे बेटे साजिद अंसारी बताते हैं कि ध्वज बनाने की तैयारी में वे दिसंबर माह से ही लग जाते हैं। शहर में महावीरी पताकाएं बनानेवाले कारीगरों में सबसे ज्यादा मुसलमान ही हैं। अभी करीब सौ मुसलमान कारीगर महावीर झडों की सिलाई और बिक्री के काम में लगे हुए हैं। ये हरमू में झंडा तैयार करते हैं। इस दौरान आधा मीटर से 51 मीटर तक की पताकाएं बनाते हैं। ऑर्डर करने पर ये 151 मीटर तक के ध्वज भी तैयार करते हैं। इसके बाद अपर बाजार में बेचने के लिए लाते हैं। जहां से न सिर्फ रांची बल्कि दूर-दराज से भी लोग खरीददारी के लिए आते हैं। उनकी बनाई पताकाएं पूरे राज्य में रामभक्त बड़े उत्साह से लहराते हैं।