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आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस बार खास अंदाज में किया गुरु के प्रतीक भगवा ध्वज का पूजन

गुरु की वंदना का दिन गुरु पूर्णिमा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों ने इस बार अगल अंदाज में गुरु पूजन किया।

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 01:17 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 01:17 AM (IST)
आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस बार खास अंदाज में किया गुरु के प्रतीक भगवा ध्वज का पूजन
आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस बार खास अंदाज में किया गुरु के प्रतीक भगवा ध्वज का पूजन

रांची, [संजय कुमार]। गुरु की वंदना का दिन गुरु पूर्णिमा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों के लिए यह दिन और भी खास है। स्थापना काल से ही स्वयंसेवक आध्यात्मिक ऊर्जा और विजय भाव के प्रतीक संघ के भगवा ध्वज को गुरु मानकर पूजा करते आ रहे हैं। रविवार को भी यह पंरपरा निभाई गई, लेकिन इस बार जरा अलग अंदाज में।

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संघ के छह प्रमुख उत्सवों में से गुरु पूर्णिमा भी ऐसा महत्वपूर्ण उत्सव है जिस दिन पूरे देश में सभी शाखाओं पर भगवा पूजन कर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा उत्सव कोरोना संकट काल की अवधि में आया। इस कारण स्वयंसेवकों ने बचाव के निर्देशों और सावधानियों को ध्यान रखते हुए इस उत्सव को खास तरीके से मनाया।

कोरोना संकट काल में शाखाएं बंद हैं, इस कारण स्वयंसेवकों ने घरों, कॉलोनियों, अपार्टमेटों और अन्य सुविधाजनक स्थलों का चुनाव कर वहां ध्वज पूजन किया। इस बात का ख्याल रखा गया कि जमा होने वाले स्वयंसेवकों की संख्या 20 से अधिक न हो। बाकी स्वयंसेवक ऑनलाइन व कुटुंब शाखाओं के माध्यम से जुड़कर वंदना और उत्सव में शामिल हुए। इस बार गुरु पूíणमा के दिन समर्पण यानी गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम नहीं हुआ। रक्षा बंधन के बाद इसका आयोजन करने का निर्णय लिया गया।

ऑनलाइन भी लाखों स्वयंसेवकों ने किया ध्वज पूजन

पूरे देश में 58 हजार से अधिक शाखाओं से जुड़े लाखों स्वयंसेवकों ने निश्चित स्थानों पर जमा होकर और ऑनलाइन एक-दूसरे से जुड़कर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया। जहां लोग पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए, वहां शारीरिक दूरी समेत कोरोना से बचाव के सभी दिशा निर्देशों का भी पालन किया गया। घरों में चल रही कुटुंब शाखाओं में भी निर्धारित समय पर पूजन कर प्रार्थना की गई।

प्रतिनिधि स्वयंसेवकों ने ही किया ध्वज का स्पर्श, बाकी ने की वंदना

इस बार जहां छोटी टोली बनाकर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाने का निर्णय लिया गया वहां कोरोना संक्रमण काल में सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सबकी उपस्थिति में प्रतिनिधि के तौर पर चुने गए एक स्वयंसेवक ने ध्वज का पूजन किया। बाकी सबने ध्वज स्पर्श किये बगैर पूजन किया। कार्यक्रम में शामिल सभी स्वयंसेवकों को सैनिटाइजर के साथ-साथ मास्क अनिवार्य रूप से लगाने को कहा गया था।

पूरे देश में अलग-अलग शाखाओं के स्वयंसेवकों ने अपनी सुविधा के अनुसार समय निर्धारित किया था। यह कार्यक्रम सुबह से लेकर शाम तक जारी रहा। जिन शहरों में ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया वहां भी एक ही जगह ध्वज लगाकर एक व्यक्ति ने पूजन किया, बाकी लोगों ने ऑनलाइन जुड़कर अपनी जगह से ही वंदना की।

राष्ट्रसेविका समिति की बहनों ने ऑनलाइन आयोजित किया कार्यक्रम

आरएसएस के स्वयंसेवकों के साथ ही राष्ट्रसेविका समिति की बहनों ने भी गुरु पूर्णिमा का उत्सव ऑनलाइन मनाया। पूजन के लिए पूरे देश में अलग-अलग समय निर्धारित किया गया। एप के माध्यम से ऑनलाइन जुड़कर एक जगह भगवा ध्वज का पूजन किया गया। फिर वरिष्ठ पदाधिकारी का बौद्धिक हुआ। प्रार्थना के बाद कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

ये हैं संघ के छह प्रमुख उत्सव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कार्यक्रम में भारत के छह प्रमुख उत्सवों को शामिल किया है। ये हैं वर्ष प्रतिपदा यानी ¨हदू नववर्ष, ¨हदू साम्राज्य दिवस, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन, विजयादशमी व मकर संक्रांति। इन उत्सवों के मौके पर देशभर में संघ की सभी शाखाओं पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर स्वयंसेवक सभी शाखाओं में भगवा ध्वज का पूजन करते हैं। वहीं इस मौके पर गुरु की पूजा कर उन्हें गुरुदक्षिणा देने की परंपरा भी निभाते हैं। इस बार यह सब बदले स्वरूप में हुआ।


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