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यह जमीन की लड़ाई हिस्सेदारी के लिए नहीं, यह धर्म युद्ध भी नहीं... पढ़ें सियासत की कही-अनकही

Jharkhand Political Updates. दोनों पार्टी एक दूसरे को यह बता रहे हैं कि उनके पास कितनी जमीन है। पब्लिक के पास दोनों का डॉक्यूमेंट बंट गया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 03:03 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 05:49 PM (IST)
यह जमीन की लड़ाई हिस्सेदारी के लिए नहीं, यह धर्म युद्ध भी नहीं... पढ़ें सियासत की कही-अनकही
यह जमीन की लड़ाई हिस्सेदारी के लिए नहीं, यह धर्म युद्ध भी नहीं... पढ़ें सियासत की कही-अनकही

रांची, [आशीष झा]। दुनिया खेलों के नियम को याद करती रही है, लेकिन हम भारतवंशी युद्ध को भी नियम से ही लड़ते रहे हैं। बच्चा बच्चा जानता है कि कैसे महाभारत काल में दुर्दांत दुर्योधन से लेकर शकुनी और तमाम पक्ष विपक्ष के लोगों ने नियमों के दायरे में अपनी अपनी लड़ाई लड़ी। वह लड़ाई भी जमीन पर कब्जे के लिए थी और एक बार फिर धर्म नगरी देवघर से जमीन की लड़ाई शुरू हुई है। लड़ाई हिस्सेदारी के लिए नहीं है, एक्सपोज करने के लिए है। दोनों पार्टी एक दूसरे को यह बता रहे हैं कि उनके पास कितनी जमीन है। इस लड़ाई का फलाफल जो भी निकले एक बात तो तय है कि पब्लिक के पास दोनों का डॉक्यूमेंट बंट गया। जीत हार की कहानियों से अलग पब्लिक के बीच इस बात की चर्चा है कि कौन कितना बड़ा जमींदार और सभी जानते हैं कि यह कोई धर्म युद्ध नहीं।

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फर्जी मुठभेड़ की असली कहानी

पुलिस सेवा में काम करते-करते इतनी बारीक ट्रेनिंग मिल जाती है कि लोगों के लिए असली नकली का अंतर करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अब हाल ही का वाकया देखिए। चोर आया-चोर आया कह कर बड़े साहब ने तो हंगामा खड़ा कर दिया लेकिन जब चोर को ढूंढने की बात आई तो बड़ी तहजीब से बता दिए कि हल्ला होते ही चोर भाग गया। अब अपने दल से लेकर चोर दल में इस बात को लेकर हिसाब किताब लगाया जा रहा है। हमेशा की तरह कुछ साथ हैं तो कुछ दूसरी ओर खड़े हैं लेकिन फिलहाल तो यही लग रहा है कि पुलिस वाले साहब इस लड़ाई में तारीख पर सुनवाई के दौरान गवाह अपने पक्ष में करवा लेंगे। हालांकि उनकी इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता कि समय पर हल्ला होने के बाद चोरों का दल भाग खड़ा हुआ।

हजारीबाग का है, युवा ही रहेगा

पूरे देश में युवाओं की उम्र को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है कि आखिर युवा किसे कहें। हाथ वाली पार्टी के भैया तो पांचवें दशक में भी युवा कहलाना पसंद करते हैं तो दूसरे क्यों पीछे रहें। इस पार्टी के उम्मीदवारों को हजारीबाग में पिता-पुत्र की जोड़ी ने खूब पीटा है। बहरहाल पिता-पुत्र में से कौन कितना युवा यह भी विवाद का विषय हो सकता है लेकिन हम इस पचड़े में पडऩे वाले नहीं। हमारे पास तो हजारीबाग की नई कहानी है जिसमें एक 45 वर्ष के नौजवान ने किशोरों के बीच रिकॉर्ड ही बना दिया। अभी-अभी बारवहीं के परीक्षा परिणाम में उसने पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन किया पर मुंह छुपाए भाग रहा है। लोग आरती करने के लिए खोज जो रहे हैं। कमल दल वालों ने विरोधियों को चिढ़ाना भी शुरू कर दिया है - इस शासन में ऐसे ही युवा मिलेंगे।

म्यान की दूसरी तलवार

नाम में बंधु होने से कोई इंसान समाज के हर व्यक्ति का बंधु नहीं होता। कुछ के लिए आप परोपकारी जरूर होंगे लेकिन अपने मुखिया के लिए तो आप म्यान की दूसरी तलवार हैं। या यूं कहिए कि सौतेले रिश्तेदार हैं। आपके आने से लोहरदगा का एक हिस्सेदार बढ़ गया है तो फिर कैसे आपको शांति से रहने दिया जाए। काट खोज ली गई है। मुखिया जी ने अपने बचाव के लिए शनि नामक एक जीव को अपना साथी बना लिया। कार्यक्रमों में उसी के साथ जाते हैं। फायदा यह कि क्षेत्र के राहु जैसे वक्र दृष्टि के लोगों की नजर से मुखिया जी बचे रहते हैं। खैर नाम के साथ बंधु लगाने वाले साहब के कंधे पर हमेशा बंदूक रहता है। उनकी लंबी यात्रा बताती है कि वह किसी के सगे नहीं रहे हैं और आपको पूछना हो तो लालबाबू से पूछ लीजिए या फिर दीदी से ही हाल ले लीजिए।


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