रामलला को वनवास के दिनों की याद दिलाएगी झारखंड की मिट्टी
अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण को लेकर पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह है।
संजय कुमार, रांची : अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण को लेकर पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह का माहौल है। विहिप के आंदोलन से कदमताल करते हुए भगवान बिरसा की भूमि के सैंकड़ों तीर्थस्थलों की मिट्टंी भगवान राम के मंदिर का हिस्सा बनने चल पड़ी हैं। सबके मन में बसने वाले राम का अभिषेक करने की लालसा से झारखंड के पवित्र नदियों का जल लेकर भी श्रद्धालुओं का जत्था अयोध्या की ओर कूच कर चुका है। झारखंड की मिट्टंी का रामलला से पुराना नाता है। वनवास के दौरान आदिवासियों ने भगवान राम का हृदय से स्वागत और अभिनंदन किया था। ये वनवासी कभी उनके साथी बने थे।
अब एक बार फिर भावनाएं एकाकार होंगी। आस्था के केंद्रों का मिलाप होगा। रविवार को विश्व ¨हदू परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री केशव राजू के नेतृत्व में एक जत्था बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू (खूंटी) की मिंट्टी के साथ ही पूरे झारखंड से 2100 से अधिक स्थानों की पवित्र मिंट्टी व नदियों का जल लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो गया। उनके साथ झारखंड के प्रांत संगठन मंत्री देवी सिंह, प्रात मंत्री डॉ. वीरेंद्र साहू, प्रात प्रचार प्रसार प्रमुख संजय कुमार व राची विभाग संयोजक अमर प्रसाद गए हैं।
सोमवार को अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थली पर विधिवत रूप से उस कलश को श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व उपस्थित अन्य अधिकारियों को उसे सौंप देंगे। केशव राजू ने कहा कि कोरोना के कारण भूमि पूजन में सभी लोगों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। मिट्टंी व जल संग्रह के काम में समाज के हर वर्ग के लोगों ने जो उत्साह दिखाया है, वह अदभुत है। इस पवित्र मिंट्टी व जल से झारखंड के उन सैकड़ों कारसेवकों की भावनाएं जुड़ी हैं जो 1990 एवं 92 कीकार सेवा में अयोध्या गए थे। ----------- 1100 सरना स्थलों व 100 से अधिक गुरुद्वारों की मिंट्टी भी पहुंचेगी अयोध्या संपूर्ण झारखंड से संग्रह किए गए 1100 से अधिक आदिवासियों के सरना स्थलों की मिंट्टी के साथ-साथ, विभिन्न धर्मो के पवित्र तीर्थस्थलों, मंदिरों, 100 से अधिक गुरुद्वारों, 11 बौद्ध स्थल, जैनों के तीर्थस्थलों की मिट्टंी व 51 से अधिक पवित्र नदियों का जल अयोध्या पहुंचेगा। ----- नौ लाख वर्षो से झारखंड का भगवान राम से नाता जुड़ा है बातचीत में क्षेत्र संगठन मंत्री वीरेंद्र विमल ने कहा कि झारखंड की भूमि नौ लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के वनवास की स्थली रही है। रामजी ने भैया लक्ष्मण और माता सीता के साथ सिमडेगा के रामरेखा धाम में निवास किया था। नौ लाख वर्षो से झारखंड से रामजी का नाता रहा है। अत: यहां के पावन रजकण और जल की तो स्वयं रामजी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। उधर 1992 के कारसेवकों की उपस्थिति में रांची के विश्वनाथ महादेव की मिंट्टी संग्रहित की गई। इस मिंट्टी को सांसद संजय सेठ ने विहिप के पदाधिकारियों को सौंपा।