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खुद को तैयार करने का है मौका, कार्य करने के तरीके बदलें

चेन्नई मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष सह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष ने ऑनलाइन अपनी बात रखी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 10:09 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 10:09 PM (IST)
खुद को तैयार करने का है मौका, कार्य करने के तरीके बदलें
खुद को तैयार करने का है मौका, कार्य करने के तरीके बदलें

जागरण संवाददाता, राची : चेन्नई मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष सह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुबैया शण्मुगम ने कहा कि इस संकट की घड़ी में हमें खुद को तैयार करने का मौका मिला है। स्वयं को अनुशासित रखते हुए दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनना होगा। अपने कार्य करने के तरीके को बदल लें, थकें नहीं चलते रहना है। कार्य से ऊबना नहीं चाहिए। इस समय को इस रूप में लें कि आपको एकात में साधना करने का अवसर मिला है। वे सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ऑनलाइन लेक्चर सीरिज में बोल रहे थे। इसका विषय हिंदू राष्ट्र और भारतीय संस्कृति की प्रदर्शनी चोल साम्राज्य था। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी राष्ट्र अपने इतिहास से प्रेरित होकर भविष्य के लिए पाठ सिखाता है, लेकिन साहित्य में जो इतिहास है वह तिरस्कृत है। वह दूषित है और त्रुटियों से परिपूर्ण है। प्रात अध्यक्ष प्रो नाथू गाड़ी, संगठन मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला, राजीव रंजन देव पाडेय, दीपेश कुमार, राष्ट्रीय मंत्री विनीता कुमारी, विशाल सिंह, नवलेश, मोनू शुक्ला सहित एक हजार लोगों ने इन्हें लाइव देखा और सुना। चोल साम्राज्य भारतीय संस्कृति का प्रतीक

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डॉ. सुबैया ने कहा कि हिंद महासागर की यात्रा और व्यापार के बारे में लिखे गए पुस्तक पेरिफ़ुस ऑफ एरीथ्रियन सागर में भारत के विभिन्न राज्यों और उनके बंदरगाहों का विवरण है। मेगस्थनीस, ह्वेनत्साग और फाहियान ने भी चोल साम्राज्य के बारे में उल्लेख किए हैं। चोल साम्राज्य हिंदू राष्ट्र और भारतीय संस्कृति की प्रतीक और प्रदर्शनी है। यहा महिलाओं का आदर और प्रभाव अधिक था। चोल साम्राज्य गंगा तट से लंका तक और मालदीव से इंडोनेशिया के श्रीविजय तक था। इतना प्रभावशाली नौसेना पूरे दुनिया में बहुत कम थे। महमूद गजनी राजेंद्र चोल के समकालीन थे। गजनी राजेंद्र चोल के डर के कारण मध्य भारत पार कर लूट मचाने नहीं आया था।


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