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तकनीक से लैस हुए अपराधी तो पुलिस ने भी किया खुद को अपग्रेड, थानों में क‍िए गए खास बदलाव

Ranchi News अलग राज्य बनने के बाद नक्सलियों के खिलाफ पुलिस ने बेहतर कार्य किया। केंद्रीय सहयोग से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य पहुंचाने की लगातार कोशिश हो रही है। इसका असर भी दिख रहा है। सैकड़ों छोटे-बड़े नक्सली गिरफ्तार भी हुए

By Madhukar KumarEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:29 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:29 PM (IST)
तकनीक से लैस हुए अपराधी तो पुलिस ने भी किया खुद को अपग्रेड, थानों में क‍िए गए खास बदलाव
तकनीक से लैस हुए अपराधी तो पुलिस ने भी किया खुद को अपग्रेड, तकनीक से लैस हुए थाने

रांची, राज्य ब्यूरो। बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बने 21 साल हो गए। इन 21 वर्षों में सुरक्षा के क्षेत्र में झारखंड पुलिस में बहुत बदलाव देखने को मिला है। पुलिस के पारंपरिक संसाधन बढ़े, कार्यशैली में भी बदलाव आया। पुलिस के पास एक नाली बंदूक हुआ करता था, जिसके स्थान पर अब इंसास व एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार आ गए। जर्जर व टूटे-फूटे थानों के स्थान पर कई फोर्टिफायड, स्मार्ट व मॉडल थाने बन गए। कई बन रहे हैं और अधिकतर बनने की कतार में हैं।

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तकनीक से लैस हुए अपराधी तो पुलिस ने भी किया खुद को अपग्रेड

अपराधी तकनीक से लैस हुए तो पुलिस ने भी खुद को अपग्रेड करना शुरू कर दिया। जिलों में पुलिस के साइबर सेल, सीआइडी के अधीन साइबर अपराध थाना खुला। मानव तस्करी रोकने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) खुला। बहकावे में आकर अपराध में शामिल बच्चों के साथ पुलिस ज्यादती न करे, उसके लिए सभी जिलों में बाल मित्र थाने भी खुले।

फोर्टिफाइड, स्मार्ट व माडल थाना ने लिया जर्जर व टूटे-फूटे थानों का स्थान

अलग राज्य बनने के बाद नक्सलियों के खिलाफ पुलिस ने बेहतर कार्य किया। केंद्रीय सहयोग से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य पहुंचाने की लगातार कोशिश हो रही है। इसका असर भी दिख रहा है। सैकड़ों छोटे-बड़े नक्सली गिरफ्तार भी हुए, आत्मसमर्पण भी किए और कई मुठभेड़ में मारे भी गए। इस अभियान में पुलिस को भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है, जिसमें करीब साढ़े चार सौ से अधिक पुलिसकर्मी-पदाधिकारियों ने अलग राज्य बनने के बाद नक्सल विरोधी अभियान में अपनी शहादत दी है। नक्सलियों व भटके हुए लोगों को मुख्य धारा से जोडऩे के लिए राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति बनाया, जिसका असर दिखता है। मुख्य धारा से जुडऩे वाले नक्सलियों के लिए राज्य सरकार ने खुला जेल का सौगात दिया। पीडि़त परिवार को न्याय मिले, इसके लिए वैज्ञानिक अनुसंधान पर जोर दिया गया।

राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला को अपना भवन मिला, जो कभी दो कमरे में किराए के मकान में चलता था।

  • राज्य में 600 थाने।
  • विधि व्यवस्था में तैनात हैं 60 हजार जवान-पदाधिकारी
  • 173 स्पेशल एक्शन टीम (सैट) की व झारखंड जगुआर का 40 असाल्ट ग्रुप नक्सल विरोधी अभियान में जुटा।
  • सभी जिले में साइबर फोरेंसिक लैब, सभी थानों में एक साइबर विशेषज्ञ अधिकारी व एक साइबर फोरेंसिक वैन लाने की तैयारी। 
  • मानव तस्करी रोकने को राज्य के 16 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) खुला। इनमें धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, गढ़वा, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, रामगढ़, बोकारो, पाकुड़, देवघर, जामताड़ा, साहिबगंज, गोड्डा, गिरिडीह,लातेहार।

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