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Ranchi: 200 मीटर नाले से बंटे दो गांव, पुल न होने की वजह से चंद मिनटों का सफर घंटों में तब्‍दील, लोग परेशान

दोनों गांवों के बीच 200 मीटर चौड़े गूंगा नाले का फासला है। फिर भी एक से दूसरे गांव में जाने के लिए 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों ओर से पक्की रोड आकर भी सिरे पर खत्म हो गई है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Sun, 04 Dec 2022 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2022 12:50 PM (IST)
Ranchi: 200 मीटर नाले से बंटे दो गांव, पुल न होने की वजह से चंद मिनटों का सफर घंटों में तब्‍दील, लोग परेशान
नाले के ऊपर पुल न बनने की वजह से गांववाले काफी परेशान हैं।

नीलमणि चौधरी, रांची। यह कुदरत के अनोखे करतब का पात्र बने दो गांव की कहानी है। राजधानी से 27 किलोमीटर की दूरी पर दिल्ली जाने वाली रेललाइन में गंगाघाट रेलवे स्टेशन के पास के दो अलग-अलग पहाड़ों पर बोंगाइबेरा और तिलैया जारा गांव बसे हैं। दोनों गांवों के बीच 200 मीटर चौड़े गूंगा नाले का फासला है। फिर भी एक से दूसरे गांव में जाने के लिए 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां पुल बनाने के लिए बार-बार बने डीपीआर काफी खर्च की आशंका में जमीन पर नहीं उतरते। इस कारण आजादी के 75 सालों बाद भी यहां की स्याह हकीकत विकास की योजना बनाने वालों को मुंह चिढ़ा रही है।

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दोनों गांवों के बीच ऐसे बढ़ा फासला

गंगाघाट रेलवे स्टेशन की ओर की गांव का नाम बोंगाइबेरा है। दूसरी ओर से अनगड़ा की ओर जाने वाली सड़क पर तिलैया जारा गांव है। दोनों ओर से पक्की रोड आकर सिरे पर खत्म हो गई है। दोनों छोरों पर पांच फीट ऊंची दीवार खड़ी कर दी गई है। दोनों ओर खड़ी की गई दीवारों पर लिखा है, आगे रास्ता बंद है।

दोनों छोरों पर आकर दोनों गांव के लोग ऊंची आवाज में बात तो कर सकते हैं, परंतु चार पहिया वाहनों की कौन कहे साइकिल और बाइक से भी नहीं जा सकते हैं। इसके लिए तिलैया जारा वालों को अनगड़ा से टाटी सिलवे होते हुए राहे रोड पकड़कर गंगाघाट रेलवे स्टेशन के पास बोंगाइबेरा तक आना पड़ता है।

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नाले को पार करना खतरे से नहीं खाली

गूंगा नाले में चार महीने पानी जमा रहता है। बरसात के दिनों में गूंगा नाले में पानी गहरा जमा रहता है। इस कारण कोई जान पर खेलकर भी पैदल नहीं जा सकता है। बाकी दिनों में घने जंगल से होकर भी पैदल जाना आसान नहीं है। दोनों ओर खड़ी ढाल वाली चट्टानें हैं। नीचे की ओर जाते ही फिसलते हुए दौड़ना पड़ता है। जरा भी संतुलन गड़बड़ाया तो चट्टानों पर औंधे मुंह गिरने से कोई नहीं बचा सकता है।इस कारण बुजुर्ग, बच्चे और दिव्यांग तो जाने की सोच भी नहीं सकते हैं। तिलैया जारा में मिले नकुल महतो बताते हैं कि रेलवे स्टेशन पर सामान लेकर उतरे लोगों के लिए तो 200 मीटर आने के लिए आटो से 200 से 400 रुपये देकर 12 किलोमीटर की दूरी तय करने का ही उपाय है।

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