चुनाव में जीत ही टिकट का आधार : ओम प्रकाश माथुर
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को पूरा भरोसा झारखंड में पार करेंगे 65 का आंकड़ा कहा स
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को पूरा भरोसा झारखंड में पार करेंगे 65 का आंकड़ा, कहा, सरकार का काम ही हमारे विश्वास का आधार, विकास ही हमारा एजेंडा
रांची, राब्यू। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर देश के तकरीबन सभी प्रमुख राज्यों में भाजपा के चुनाव की कमान संभाल चुके हैं। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में पार्टी के पक्ष में शानदार परिणाम देने का अब तक का इनका ट्रैक रिकार्ड रहा है। झारखंड में विधानसभा चुनाव के प्रभारी के तौर पर उन्हें एक बार फिर चुनाव की कमान सौंपी गई है। एक कुशल रणनीतिकार के रूप में झारखंड विधानसभा चुनाव में उनकी भी परीक्षा है। माथुर इन दिनों लगातार झारखंड में कैंप कर चुनावी समर के लिए पार्टी की व्यूह रचना में जुटे हैं। अपने व्यस्त दौरे के क्रम में उन्होंने दैनिक जागरण के प्रधान संवाददाता आनंद मिश्र से चुनाव को लेकर विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। रणनीति का खुलासा तो नहीं किया लेकिन विश्वास जताया कि झारखंड में भाजपा निश्चित तौर पर 65 का आंकड़ा पार करेगी। भाजपा का चुनावी एजेंडा सिर्फ विकास ही होगा।
आपने अब तक कई राज्यों की चुनाव की कमान संभाली है। झारखंड कितना कुछ अलग है, राजनीतिक दृष्टिकोण से।
- जनजातीय क्षेत्र के रूप में झारखंड की एक अलग पहचान है। यहां हमारा प्लस प्वाइंट यह है कि केंद्र व राज्य की योजनाएं नीचे तक पहुंची हैं। लोगों में एक विश्वास जगा है। लोग ऐसा सोचते हैं कि यह मेरी सरकार है, मेरा परिवार है।
- झारखंड में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए 65 प्लस का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दावे का आधार क्या है?
- आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को बदला है। विकास के आधार पर लोगों का विश्वास जीता है। उसी से नारा निकला 'सबका साथ, सबका विकास'। आज विकास का काम गांव-गांव तक पहुंच रहा है। झारखंड में अब आम लोग भी यह स्वीकारते हैं कि नक्सलवाद कम हुआ है। 33 लाख से ज्यादा घरों तक रसोई गैस पहुंची है। सड़कों में सुधार हुआ है। जन-धन खाते खुले हैं। ऐसे कितने ही काम हुए जो नीचे तक पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री का विकास को लेकर जो भाव है, वह अब सबके मन में है। हमें निश्चित तौर पर विश्वास है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में हम 65 प्लस का लक्ष्य हासिल करेंगे।
- वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को झारखंड में 14 में से 12 सीटें हासिल हुई थीं, लेकिन इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी लोकसभा का प्रदर्शन दोहरा नहीं सकी। महज कुछ माह में ही वोट प्रतिशत 10 फीसद नीचे आ गया।
- 2014 में हमारी सरकार नहीं थी, अब है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक छवि बनाई है। ब्लॉक स्तर पर 20 सूत्री के माध्यम से योजनाओं की मॉनिटरिग की जा रही है। हर पंचायत को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है। उज्ज्वला दीदियों को भी सक्रिय किया गया है। हमारा काम ही हमारे विश्वास का आधार है।
- झारखंड में आदिवासी हितों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में हाल के वर्षो में टकराव बढ़ा है। राजनीतिक रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं।
- (रोकते हुए) मेरा बहुत स्पष्ट मानना है कि राजनीति सौहार्दपूर्ण होनी चाहिए। हर दल को अपनी बात रखने का अधिकार है। राजनीति में हम टकराव कतई नहीं चाहते। सभी को संयम और मर्यादा में रहना चाहिए। अपनी पार्टी के नेताओं से भी वाणी का संयम रखने की अपील करता हूं। हम सिर्फ विकास का मुद्दा लेकर ही जनता के बीच जा रहे हैं। विरोधियों के पास हमारे खिलाफ बोलने को कुछ नहीं हैं। आज तक कांग्रेस ने क्या किया समाज को लड़ाया, प्रांतों को लड़ाया, भाषाओं को लड़ाया उसी का परिणाम वह भुगत रही है।
- विधानसभा चुनाव में भी क्या पार्टी उम्रदराज प्रत्याशियों से दूरी बनाएगी। लोकसभा में ऐसा देखने को मिला।
- नए लोगों को भी अवसर मिलना चाहिए। पुराने भी साथ चलते हैं। जहां जिसका उपयोग होगा उनका वहां उपयोग करेंगे। निश्चित रूप से कोई मानक नहीं बनता। चुनाव में टिकट का आधार सिर्फ जीत ही होता है।
- भाजपा ने चुनाव की दृष्टि से दो अभियान शुरू किए। घर-घर रघुवर और जोहार जन आशीर्वाद यात्रा। घर-घर रघुवर अभियान कुछ थमता सा दिख रहा है।
- दोनों ही अभियान साथ चल रहे हैं। चुनाव की व्यूह रचना दो स्तरों पर बुनी जाती है। टेक्निकल वर्क और पॉलिटिकल वर्क। तकनीकी स्तर पर हम बूथ मैनेजमेंट पर जोर दे रहे हैं। वहीं, राजनीतिक स्तर पर हम तय करते हैं कि कहां सभाएं करनी हैं, रैलियां करनी हैं। पार्टी के सभी नेता भाजपा के विजयरथ का कारवां बढ़ाने के मकसद से एक ध्येय लेकर चल रहे हैं।
- विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा रघुवर दास ही होंगे?
- बिल्कुल। अब तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी साफ कह दिया है। झारखंड में रघुवर दास ही पार्टी का चेहरा होंगे।