आपदा प्रबंधन को राहत नहीं, नियमावली के लिए कैबिनेट के निर्णय का इंतजार
2005 में आपदा प्रबंधन प्राधिकार के गठन को लेकर गतिविधियां शुरू हुईं तो मई 2010 में झारखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकार के गठन की अधिसूचना जारी हुई। अब प्राधिकार काम कैसे करे?
रांची, [आशीष झा]। आपदाएं पूछ कर नहीं आतीं और यहां व्यवस्था ऐसी है कि बिना कहे एक कदम नहीं बढ़ती। अब जरा आपदा प्रबंधन विभाग का ही हाल देख लीजिए। 2005 में केंद्र से निर्देश मिलने के बाद आपदा प्रबंधन प्राधिकार के गठन को लेकर गतिविधियां शुरू हुईं तो मई 2010 में झारखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकार के गठन की अधिसूचना जारी हुई। अब प्राधिकार काम कैसे करे? नियमावली बनाने की जरूरत पड़ी तो लगभग नौ साल में यह भी बन गया है। विभिन्न विभागों से होते हुए नियमावली कैबिनेट के निर्णय के इंतजार में है।
नियमावली बन गई तो 14 वर्षों का वनवास टूट जाएगा। यह बन जाए तो रघुवर सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। नियमावली में सभी आधुनिक बातों को समावेश करने के लिए टीम ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात आदि का अध्ययन कर टीम ने पाया कि बिहार की नियमावली झारखंड के लिए फिट है और इसी में संशोधन कर इसे मूर्त रूप दे दिया गया है। नियमावली तैयार हो जाने से प्राधिकार के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अन्य कर्मियों की नियुक्ति से लेकर कार्य दायित्व तक का निर्धारण हो सकेगा।
चार हिस्सों में बनी है नियमावली
प्राधिकार के संचालन के लिए नियमावली चार हिस्सों में बनकर तैयार है। इसमें विभिन्न पदों का वर्णन, उनके कृत्य और दायित्वों का उल्लेख किया गया है। दूसरे हिस्से में पदाधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती, पदों की कोटि, न्यूनतम अर्हता, सेवा शर्त आदि का वर्णन है। तीसरे हिस्से में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य और सचिव की शक्तियों एवं कृत्य का उल्लेख है। अंतिम हिस्से में सूचना नीति की जानकारी दी गई है।
आपदा से निपटने और लोगों को राहत देने का सिस्टम बनेेगा
आपदा प्रबंधन प्राधिकार के काम करने से सरकार को आपदा से निपटने और लोगों को राहत देने के लिए पूरा सिस्टम तैयार हो जाएगा। वर्तमान स्थिति में अपील करने और शिकायत करने तक का इंतजाम नहीं है। जिलों में शिकायतें पहुंचती हैं तो कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है।
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