Terror Funding Case: नक्सलियों के रुपयों का निवेशक मनोज चौधरी कोलकाता से गिरफ्तार
Terror Funding Case एनआइए की टीम ने माओवादियों के रुपयों के निवेशक मनोज चौधरी को शनिवार को कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया। वह गिरिडीह के पीरटांड़ थानाके भर्ती चलकारी गांव का है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Terror Funding Case एनआइए की टीम ने माओवादियों के लेवी के रुपयों के निवेशक मनोज चौधरी को शनिवार को कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया। वह गिरिडीह के पीरटांड़ थाना क्षेत्र के भर्ती चलकारी गांव का रहने वाला है और गिरिडीह से भारी मात्रा में बरामद हथियार व गोली की बरामदगी मामले में फरार चल रहा था। उसपर माओवादियों के लेवी-रंगदारी के रुपयों को रियल इस्टेट व जमीन के कारोबार में निवेश करने के आरोप हैं, जिसकी पुष्टि भी हो चुकी है। एनआइए की टीम ने उसे पश्चिम बंगाल के हुगली जिले से गिरफ्तार किया। उसके पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जो अचल संपत्ति में निवेश से संबंधित हैं। एनआइए ने उसे रांची स्थित एनआइए की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया, जहां से उसे पांच दिनों के रिमांड पर लिया गया है।
गिरिडीह के डुमरी में पकड़े गए थे 15 माओवादी, मिले थे भारी मात्रा में हथियार
गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र के अकबकीटांड़ गांव में मार्च 2018 में माओवादियों के 15 हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार किए गए थे। उनके पास से भारी मात्रा में हिथयार व कारतूस बरामद किए गए थे। गिरफ्तार माओवादियों में स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य सुनील मांझी भी शामिल था। इस मामले में डुमरी थाने में 06 मार्च 2018 को उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। इसके बाद एनआइए ने इस केस को टेकओवर किया था और 09 मई 2018 को केस री-रजिस्टर्ड किया था।
एनआइए के अनुसंधान में जो निकला
एनआइए ने अनुसंधान के दौरान गिरफ्तार माओवादियों की निशानदेही पर बोकारो जिले के लुगु पहाड़ से भारी मात्रा में विस्फोटक व हथियार की बरामदगी की। इसके बाद एनआइए ने 17 माओवािदयों व उनके समर्थकों के खिलाफ दो चार्जशीट दाखिल किया, जिसमें मनोज चौधरी को फरार घोषित किया गया था। अनुसंधान में इस बात का खुलासा हुआ कि आरोपित मनोज चौधरी माओवादियों का सक्रिय सदस्य है। वह माओवादियों के लेवी-रंगदारी के रुपयों को रियल इस्टेट में निवेश करता था। उसका वर्ष 2008 से ही वरिष्ठ माओवादियों से संबंध रहा है। उसने माओवादियों के रुपयों का अचल संपत्ति में भी निवेश किया है। गिरिडीह में भी बड़े-बड़े भूखंड खरीदे हैं। पुलिस को उसकी तीन सालों से तलाश थी।