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लंबित भुगतान व अतिक्रमण न हटा पाने का मलाल डीसी राय महिपात रे को रहा

राय महिमापत रे 2011 बैच के आइएएस ऑफिसर हैं जिन्होंने 2018 में रांची डीसी का पद संभाला। उन्हें मलाल ही रहा कि वे कुछ काम नहीं कर पाए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 02:07 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 06:14 AM (IST)
लंबित भुगतान व अतिक्रमण न हटा पाने का मलाल डीसी राय महिपात रे को रहा
लंबित भुगतान व अतिक्रमण न हटा पाने का मलाल डीसी राय महिपात रे को रहा

जागरण संवाददाता, रांची : राय महिमापत रे 2011 बैच के आइएएस ऑफिसर हैं, जिन्होंने फरवरी 2018 में रांची उपायुक्त का पदभार ग्रहण किया। अपने करीब ढाई साल के कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिनके लिए उन्हें याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौके पर झारखंड की राजधानी रांची आए। प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर की जाने वाली तैयारी और सुरक्षा पर पूरे देश दुनिया की नजर होती है। ऐसे में एक दो बार नहीं सात बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे का सफल आयोजन राय महिमापत रे के नेतृत्व में किया गया। खासकर योग दिवस पर जिस तरह का आयोजन किया गया उसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री ने की थी। रांची डीसी और जिला प्रशासन की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि था कि जैसी उम्मीद थी उससे बढ़कर तैयारी की गई है।

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बेस्ट जिला निर्वाचन पदाधिकारी

चुनाव के दौरान भी बतौर डीसी राय महिमापत ने दिखाया कि दबाव में किस तरह से अपनी पूरी टीम को साथ लेते हुए सकारात्मक परिणाम दिया जा सकता है। रांची डीसी बनते ही नगर निगम चुनाव हुआ, सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इसके बाद लोकसभा और छह महीने के बाद ही विधानसभा चुनाव। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी। लोगों तक मतदाता पर्ची बांटने वो खुद उनके घरों तक पहुंचे। वाट्सएप से लोग अपने मतदाता पर्ची पा सके इसकी व्यवस्था की। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जो तरीके अपनाए उसकी पूरे देश में तारीफ हुई। राज्य के तीन सर्वोत्तम जिला निर्वाचन पदाधिकारी में से एक नाम राय महिमापत रे का आया था। राज्यपाल ने खुद सम्मानित किया था। कोरोना से लड़ने में जब रांची बनी देश के लिए मॉडल

देश में जब कोरोना का संकट आया तो दुर्भाग्यवश शुरुआत रांची से ही हुई। एक बार फिर बड़ी चुनौती थी डीसी रांची के सामने। हिदपीढ़ी की चर्चा पूरे देश में थी, राय महिमापत ज्यादातर वक्त हिदपीढ़ी में ही बने कमांड एंड कंट्रोल रूम में बिताते। एक दिन ऐसा आय जब कोरोना संकट से लड़ते हुए रांची बन गई देश के लिए रोल मॉडल। मुख्यमंत्री ने रांची डीसी की तारीफ करते हुए कहा कि रांची ने देश को राह दिखाई है।

कांटाटोली में फ्लाई ओवर बने कैसे? जमीन अधिग्रहण मुश्किल काम था, लेकिन राय महिमापत रे ने ये भी कर दिखाया। भारी विरोध के बावजूद कांटाटोली फ्लाईओवर के लिए जमीन का अधिग्रहण अच्छे माहौल में हो गया। नेशनल हाइवे तमाड़ और रांची रिग रोड निर्माण की अड़चनें दूर की।

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नये उपायुक्त के सामने पांच बड़ी चुनौतियां

-लगातार बदलते हालात में कोविड-19 का लगातार बढ़ा संक्रमण सबसे बड़ी चुनौती होगी। रांची के कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराना

-लंबे समय से एनएच-थ्री का लंबित भुगतान को दिलवाना।

-खाद्य आपूर्ति से जुड़े दलालों और तिकड़मबाजों की चेन को ध्वस्त करना

-राय महिमापत अपने अधीनस्थ अधिकारियों को गांवों में अभी भेजना शुरू ही किया था कि उनका तबादला हो गया, अब नये डीसी के लिए इस व्यवस्था को बनाए रखना भी चुनौती होगी।


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