दैनिक जागरण टीम ने की बालिका सुरक्षा गृहों की पड़ताल, अनाथ बेटियों को दिलाना होगा सुरक्षा का अहसास
मुजफ्फरपुर और देवरिया के बालिका सुरक्षा गृह में अनाथ बेटियों से दुष्कर्म के बाद राज्य सरकार ने सभी आश्रय स्थलों की जांच का आदेश दिया है।
जेएनन, रांची : मुजफ्फरपुर और देवरिया के बालिका सुरक्षा गृह में अनाथ बेटियों से दुष्कर्म पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी ने शासन-प्रशासन को झकझोर दिया है। नाबालिग बच्चियों की अस्मत से खेलने वालों को सरकारी संरक्षण से पूरी व्यवस्था की पोल खुल गई है। ऐसे में मानव तस्करी के लिए बदनाम रहे झारखंड के बालिका सुरक्षा गृह/शेल्टर होम कितने सुरक्षित हैं यह सवाल उठना लाजिमी है। दबी जुबान से यहां भी लोग-बाग बेटियों से होने वाली ज्यादती की बातें कर रहे हैं। निर्मल हृदय संस्था में बच्चों को बेचे जाने, दुष्कर्म पीड़िताओं की कोख की सौदेबाजी और अविवाहित/नाबालिग लड़कियों को पैसे की खातिर जबरन मां बनाने के खुलासे के बाद अब एनजीओ के इन आश्रय स्थलों में रह रहीं इन बच्चियों की सुरक्षा की फिक्र समाज को सता रही है। हालांकि, निर्मल हृदय मामले से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने सभी बालिका गृहों की जांच कराने केआदेश दिए हैं। ऐसे में बेटियों को जोखिम से बचाना और सुरक्षा का अहसास दिलाना बेहद जरूरी हो गया है। दैनिक जागरण टीम ने मंगलवार को राज्य भर के आश्रय स्थलों की पड़ताल की। जिसमें सैंकड़ों बच्चियां रहती हैं, जिनसे अब तक कुछ गलत होता नहीं दिख रहा है।
रांची के प्रेमाश्रय और आंचल शिशु आश्रय की जांच शुरू हो गई है। आंचल में अनियमितता के बाद निबंधन रद करने की अनुशंसा की गई है। चतरा, हंटरगंज, कोडरमा और हजारीबाग में बालिकाएं सुरक्षित हैं। सिमडेगा के मतरामेटा में सहयोग विलेज संस्था द्वारा संचालित बालिका गृह से 15 दिन पहले एक लड़की भाग निकली थी। हालाकि उसे बरामद कर लिया गया था।
चाईबासा में बालिका छाया गृह से चार बच्चिया खिड़की से कूद कर भाग गईं थी। उन्हें 24 घटे के भीतर ही टाटानगर रेलवे स्टेशन से बरामद कर लिया गया था। बोकारो में भी एक अनाथ नाबालिग बच्ची के साथ वहा के कर्मचारी ने दुष्कर्म किया था। जिसे कोर्ट ने दस वर्ष की सजा दी। संस्था के संचालक को भी जेल जाना पड़ा था। देवघर में बालिका सुधार गृह प्रशासन की देखरेख में चलता है। पाकुड़ में एवेरेट होम की लड़किया सुरक्षित हैं। दुमका में समाज कल्याण विभाग के आफ्टर केयर होम में पुख्ता सुरक्षा का दावा किया गया। राज्य के कई जिलों में बालिका सुधार गृह नहीं हैं, जहां की अनाथ बच्चियों को प्रशासन की पहल पर नजदीकी जिले में आश्रय दिया जाता है।