झारखंड में कारगर हो रही टीबी की नई दवा
मल्टी ड्रग रजिस्टेंट रोगियों के लिए होगा जीवनदायक, प्रति वर्ष 200 से 400 मरीज मिलते हैं मल्टी ड्रग रजिस्टेंट।
नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रोगियों के इलाज में नई दवा बिडाक्यूलीन काफी कारगर साबित हो रही है। इटकी स्थित यक्ष्मा आरोग्यशाला में प्रायोगिक तौर पर दो मरीजों को यह दवा दी गई थी। अभी तक मरीजों पर इसका काफी अच्छा परिणाम देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे की मानें तो अन्य दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस विकसित कर लेने वाली टीबी से पीड़ित मरीजों के लिए यह जीवनदायक साबित होगा। उनका पूरी तरह इलाज संभव हो सकेगा। यह दवा यक्ष्मा आरोग्यशाला में ही मरीजों की गहन जांच के बाद कड़ी निगरानी में दी जाती है। इसके लिए डॉक्टरों की एक कमेटी बनी है जो इसपर निर्णय लेती है। राज्य सरकार ने काफी महंगी होने के बावजूद यह दवा एमडीआर टीबी के मरीजों को मुफ्त देने का निर्णय लिया है।
राज्य में 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर इस दवा की लांचिंग की गई थी। राज्य सरकार ने मरीजों में टीबी की त्वरित पहचान के लिए कुल 36 सीबी-नैट मशीनें लगाई हैं। बड़े जिलों में दो-दो तथा छोटे जिलों में एक-एक मशीनें लगाई गई हैं। इनसे भी एमडीआर मरीजों की पहचान हो रही है। बता दें कि झारखंड में प्रति वर्ष दो सौ से चार सौ एमडीआर टीबी के मरीज मिलते हैं। इन मरीजों पर टीबी की सामान्य दवाएं काम नहीं करतीं।
कार्रवाई के डर से देने लगे मरीजों की सूचना :
राज्य सरकार द्वारा निजी चिकित्सकों तथा दवा दुकानदारों के लिए टीबी मरीजों की सूचना अनिवार्य रूप से राज्य सरकार को देने को लेकर सख्ती बरते जाने के बाद मरीजों की सूचना लगातार मिल रही है। प्रधान सचिव के अनुसार, इस वर्ष पांच माह में ही 1400 दवा दुकानदारों ने मरीजों की सूचना दी है। निजी डॉक्टरों व दुकानदारों की बात करें तो पिछले वर्ष लगभग आठ हजार टीबी मरीजों की सूचना मिली थी। इस वर्ष अभी तक 5600 मरीजों की सूचना मिल चुकी है।
पांच हजार मरीजों का खुला खाता :
राज्य सरकार ने केंद्र के सहयोग से टीबी मरीजों को अच्छे खानपान के लिए प्रत्येक माह पांच-पांच सौ रुपये दिए जाने का निर्णय लिया है। इसके लिए लगभग पांच हजार मरीजों के बैंक खाते खोले गए हैं ताकि राशि का भुगतान डीबीटी माध्यम से हो सके। राज्य सरकार का लक्ष्य बीस हजार मरीजों को इसका लाभ देने का है।
मरीज स्वयं दे सकता है जानकारी :
यदि किसी टीबी मरीज की सूचना डॉक्टर या दवा दुकानदार द्वारा राज्य सरकार को नहीं दी गई है तो वह मरीज स्वयं सूचना सिविल सर्जन या जिला यक्ष्मा पदाधिकारी को दे सकता है। इससे न केवल उसका उचित इलाज शुरू होगा, बल्कि प्रत्येक माह 500 रुपये भी मिलने शुरू हो जाएंगे।