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टाटा स्टील कंपनी के एमडी टीवी नरेंद्रन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त, झारखंड हाईकोर्ट का फैसला

झारखंड हाईकोट में इस मामले की सुनावाई चल रही थी। टाटा स्‍टील के एमडी टीवी नरेंद्रन के ख‍िलाफ फैक्ट्री एक्ट के तहत दर्ज की गई थी प्राथमिकी। वर्ष 2015 में टाटा कंपनी में एक चालक की हुई थी मौत। इसी मामले को लेकर यह प्राथम‍िकी दर्ज कराई गई थी।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 07:07 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jan 2022 01:31 PM (IST)
टाटा स्टील कंपनी के एमडी टीवी नरेंद्रन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त, झारखंड हाईकोर्ट का फैसला
टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त। फाइल फोटो

रांची, राज्य ब्यूरो। टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त कर दी। टीवी नरेंद्रन के खिलाफ फैक्ट्री एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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वर्ष 2015 में हुई थी चालक की मौत

वर्ष 2015 में कंपनी में आउटसोर्स पर काम करने वाली कंपनी के चालक की गर्म पानी के नाले में गिरने से मौत हो गई थी। नियमों के तहत प्लांट के अंदर किसी कर्मचारी की मौत होने के तीन माह के अंदर घटना की फैक्ट्री एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करानी पड़ती है। यह घटना मई की थी, लेकिन नवंबर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने नरेंद्रन के खिलाफ पीड़क कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था।

तीन माह में प्राथमिकी दर्ज कराना अनिवार्य

सुनवाई के दौरान नरेंद्रन के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा की ओर से बताया गया कि प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी की गई है। फैक्ट्री एक्ट की धारा 192 के तहत घटना के तीन माह के अंदर ही प्राथमिकी दर्ज कराना अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज किया गया है। ऐसे में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त किया जाए।

न्यायाधीश को मी-लार्ड कहने पर खंडपीठ ने लगाई रोक

उधर, ओडिशा की अदालतों में अब न्यायाधीशों के लिए मी लार्ड, योर लार्डशिप एवं योर आनर जैसे शब्द सुनने को नहीं मिलेंगे। इसकी जगह पर अब 'सर' या 'श्रीमान' शब्द का इस्तेमाल होगा। ओडिशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डा. जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आरके पटनायक की खंडपीठ की ओर से प्रकाशित सूची में इस बात का जिक्र किया गया है। प्रकाशित सूची में सर्दियों की छुट्टी के बाद हाई कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने पर अधिवक्ताओं से संबंधित शब्दों की जगह 'सर' अथवा 'श्री मान' अथवा कोर्ट की मर्यादा को केंद्र में रखकर इससे मिलते-जुलते अन्य शब्द का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया गया है। राज्य के अधिवक्ताओं ने इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिया है।


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