योद्धा की तरह लड़े, लोगों को बचाते-बचाते भीड़ का हमला भी झेला
उनके नाम में ही कभी ना हारने का भाव है फिर आप अजय अजीत.. जिस नाम से बुला लीजिए।
जागरण संवाददाता, रांची : उनके नाम में ही कभी ना हारने का भाव है फिर आप अजय, अजीत.. जिस नाम से बुला लीजिए। घोर कोरोना काल में परिवार से दो महीने दूर रहे। एक बार कोरोना से संक्रमित होकर जंग जीती। लोगों को कोरोना से बचाते-बचाते भीड़ का हमला भी झेला, लेकिन बिना डिगे कोरोना से जंग लड़ते रहे। बात हो रही है तत्कालीन कोतवाली डीएसपी, अब पाकुड़ एसडीपीओ अजीत कुमार विमल की। अजीत विमल 28 मार्च 2020 से लेकर घायल होने से पहले तक यानी 17 मई 2020 तक दिन-रात हिदपीढ़ी के लोगों की सेवा में लगे रहे, लेकिन उसी हिदपीढ़ी में रहने वाले कुछ असामाजिक लोगों ने डीएसपी अजीत पर ही पत्थरबाजी कर उन्हें घायल कर दिया। 50 दिनों तक अपने परिवार से नहीं मिल पाए, क्योंकि वे जिस इलाके में काम कर रहे थे, वह पूरे झारखंड का कोरोना हब था। जिस इलाके में लोगों ने डीएसपी पर हमला किया था, अजीत उनके बीच दवाइयां और खाना पहुंचाते रहे। बीमारों को अस्पताल पहुंचाया। चुनौतियों से लड़े, खुद बचे और शहरवासियों को भी बचाया
जागरण संवाददाता, रांची : घोर कोरोना काल में सबसे कठिन था बीमारी से अधिक तेजी से फैल रही शंका, दहशत और अफवाहों के रूप में सामने आ रही चुनौतियों से निपटना। ऐसे में तत्कालीन एसडीओ और एडीएम लॉ एंड ऑर्डर आइएएस अधिकारी लोकेश मिश्रा ने खुद को भी कोरोना संक्रमण से बचाया और शहर के लोगों को भी इससे बचाने के लिए पूरी ऊर्जा झोंक दी। चुनौतियों से बखूबी निपटे। लोकेश बताते हैं कि देश में सामने आए पहले केस के लगभग दो माह बाद रांची में पहला केस सामने आया। पूरा शहर भयभीत हो गया। अफवाहों के कारण बहुत कठित स्थितियां उत्पन्न हो गईं। लाकडाउन का पालन कराना पहली चुनौती थी। अफवाहों पर विराम लगाकर लोगों को जागरूक करना दूसरी थी। शुरुआती दौर में लोगों को ये विश्वास दिलाना कि संक्रमित होने पर अस्पताल चलें, प्रशासन ने पूरी तैयारी की है, बेहतर इलाज होगा, यह बहुत बड़ी चुनौती थी। कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद लोगों को उनके घर में रहने के लिए तैयार करना और उनके घर तक हर जरूरी चीजों को पहुंचाना भी एक कठिन चुनौती थी। सबसे बड़ी और कठिन चुनौती ये थी कि किसी संक्रमित की मृत्यु के बाद उसके धर्म व रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कराना। क्योंकि परिजन आते ही नहीं थे। लेकिन, जनसहयोग और ईश्वर की कृपा से इन सभी चुनौतियों से बखूबी निपटने में सफलता मिली।