आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने पर विधायक एकमत नहीं
आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र।
रांची: विनोद श्रीवास्तव
आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने से संबंधित सौंपी गई रिपोर्ट पर जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) के सदस्यों में एका नहीं है। अलबत्ता थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने पर सब राजी हैं, परंतु सभी की इस मामले में कुछ न कुछ अपनी-अपनी दलीलें भी हैं। कमोबेश यही स्थिति संताल परगना में गैर आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर भी है। टीएसी के सदस्यों ने अपनी भावना सुझावों के माध्यम से मुख्यमंत्री सह टीएसी के अध्यक्ष तक पहुंचा दिया है। इस संवेदनशील मुद्दे पर अपनी बेबाक टिप्पणी करने वालों में आठ विधायक भी शामिल हैं। बहरहाल सदस्यों के इन सुझावों पर मंत्रणा के बाद कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता वाली टीएसी की उपसमिति राज्य के स्थापना दिवस से पूर्व अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी। इस अवधि में वह राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों से राय-मशविरा तो करेगी ही, मानकी-मुंडा आदि पारंपरिक प्रधानों के साथ-साथ महाधिवक्ता से भी राय लेगी। उप समिति ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में आंशिक संशोधन कर थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने तथा गैर आदिवासियों के बीच आपस में भूमि की खरीद-बिक्री से संबंधित प्रारंभिक रिपोर्ट पिछले महीने सौंपी थी। रिपोर्ट में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म होने के बाद पूरे राज्य में कहीं भी जीवन में एक बार अधिकतम 20 डिसमिल तक जमीन खरीदने की छूट की अनुशंसा की गई थी। सचिव, कल्याण विभाग सह सदस्य सचिव टीएसी की ओर से 31 अगस्त को जारी टीएसी की बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट में टीएसी के सदस्यों की भावनाएं अंकित हैं।
विधायकों की राय
टीएसी के सदस्य विधायक शिवशंकर उरांव, गंगोत्री कुजूर, मेनका सरदार, लक्ष्मण टुडू और रामकुमार पाहन का कहना है कि 20 डिसमिल जमीन की बाध्यता समाप्त हो। यह एक संवेदनशील मुद्दा है। इसपर व्यापक चर्चा की दरकार है।
व्यावसायिक एवं कृषि के लिए भी इस मामले में विचार किया जाना श्रेयस्कर होगा। राजनीतिक दलों के साथ-साथ मानकी-मुंडा आदि पारंपरिक प्रधानों से भी इस संदर्भ में विमर्श करना प्रासंगिक होगा।
-नीलकंठ सिंह मुंडा, मंत्री, टीएसी सदस्य
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रांची नगर निगम के साथ-साथ अन्य जिला मुख्यालयों में भी इसे प्रभावी बनाया जाए।
-विमला प्रधान, विधायक, टीएसी सदस्य
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एसपीटी जैसे सख्त कानून प्रभावी रहने के बावजूद संताल परगना में अवैध रूप से भूमि बेचने एवं हथियाने की कार्रवाई जारी है। उप समिति की रिपोर्ट में थाना को पुलिस थाना के रूप में परिभाषित किया गया है, जबकि वास्तविक रूप में यह राजस्व थाना है।
-ताला मरांडी, विधायक, टीएसी सदस्य
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एसपीटी एक्ट में बसौड़ी भूमि विक्रयशील है। इसी तर्ज पर संताल परगना क्षेत्र में गैर अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की भूमि को विक्रयशील बनाया जाना गैर अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए हितकर होगा।
-हेमलाल मुर्मू, टीएसी सदस्य
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थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने के मसले पर सर्वदलीय बैठक में व्यापक चर्चा करना प्रासंगिक होगा।
-जेबी तुबिद
, टीएसी सदस्य
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