झारखंड के 89 परिवारों के लिए किसी मसीहा के कम नहीं थी सुषमा स्वराज
हजारीबाग पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से वैसे तो पूरा देश शोकाकुल है लेकिन झारखंड के उन परिवारों को अधिक वेदना देता है जिनके सदस्य विदेश में फंस गए थे और सुषमा स्वाराज ने उन्हें बचाने में महती भूमिका निभाई थी।
हजारीबाग : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से वैसे तो पूरा देश शोकाकुल है, लेकिन झारखंड के 89 परिवारों का दु:ख ऐसा है, जैसे इन्होंने कोई अपना खोया है। ऐसा अपना जिसके कारण आज उनका परिवार एकजुट है। सब मिलकर हंसते-मुस्कुराते हैं, त्योहार मनाते हैं। इन परिवारों में कोई एक न एक ऐसा है जो अच्छी कमाई के लिए विदेश गया था, लेकिन वहां बुरी तरह फंस गए। मजदूरी तो छोड़िए जान के लाले पड़ गए। विदेश मंत्री रहते सुषमा स्वराज के प्रयासों से ही ये मजदूर स्वदेश लौट पाए। गिरिडीह, हजारीबाग, कोडरमा और बोकारो के इन परिवारों में सुबह से ही मातम पसरा है। बगोदर के रहने वाले सहदेव महतो एवं रामेश्वर साव ने नम आखों से कहा, हमारे लिए मसीहा थीं मैडम। विदेश में फंसने के बाद तो हमारी उम्मीद टूटनी लगी थी कि हम अपने परिवार वालों से मिल नहीं पाएंगे। लेकिन मैडम के प्रयासों का नतीजा है कि हम अपने परिवार के साथ हैं।
विष्णुगढ़ में शोक सभा का आयोजन कर प्रवासी समूह ने पूर्व विदेश मंत्री को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी। समूह के सिकंदर अली ने कहा कि सऊदी अरब, मलेशिया में फंसे मजदूरों की सूचना मिलते ही मैडम सक्रिय हो गई थीं। रियाद में 41 मजदूर फंस गए थे : गिरिडीह जिले के बगोदर, पीरटांड़, बोकारो जिले के गोमिया व हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के 41 मजदूर छह जुलाई 2016 को एलएनटी कंपनी में नौकरी के लिए सऊदी अरब के रियाद गए थे। वहां पहुंचने पर पता चला कि वे धोखाधड़ी के शिकार हो गए हैं। एलएनटी के बजाय उन्हें अरबियन टीम्स कांट्रेक्टिग इस्टेब्लिसमेंट (एटीसी) में काम पर लगाया गया। कंपनी ने कुछ महीनों तक वेतन दिया, फिर पैसा देना बंद कर दिया। पैसा मांगने पर पिटाई करते। खाने तक के लाले पड़ गए थे। लाचार मजदूरों ने अपना वीडियो भेजकर विदेश मंत्री से इंसाफ दिलाने एवं वतन वापसी कराने की गुहार लगाई थी। परिवार वालों ने भी गुहार लगाई। सुषमा स्वराज ने प्रयास कर इनको वहां से रिहा कर अपने घट लौटाया। बाद में वेतन भी दिलवाया। मलेशिया में से रिहा करवाए थे 48 : अगस्त 2018 में मलेशिया में 48 मजदूर फंस गए थे। इन मजदूरों में झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा सहित कई स्थानों के मजदूर शामिल थे। ये सभी ट्रांसमिशन कार्य के लिए मलेशिया गए थे। ब्लिटलू में काम दिलाने के नाम पर इन मजदूरों को ले जाया गया था, वहां इन्हें काम न देकर दूसरी जगह पर काम पर लगा दिया गया था। काफी कम पैसे में इनसे काम कराया जा रहा था। चेन्नई के ठेकेदार के कारण ठगी का शिकार होने के बाद इन मजदूरों के लिए वतन वापसी मुश्किल हो गई थी। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को जब जानकारी हुई तो उन्होंने निजी तौर पर हस्तक्षेप कर सभी की सकुशल वतन वापसी सुनिश्चित कराई थी।
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