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प्रखंड स्तर पर होगी कुपोषित बच्चों की पहचान

जिला स्तर पर कुपोषित बच्चों का डाटा बेस तैयार कर चुकी सरकार अब इसका उपयोग कर बच्चों को सेहतमंद बनाने में करेगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 07:44 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 07:44 AM (IST)
प्रखंड स्तर पर होगी कुपोषित बच्चों की पहचान
प्रखंड स्तर पर होगी कुपोषित बच्चों की पहचान

राज्य ब्यूरो, रांची : जिला स्तर पर कुपोषित बच्चों का डाटा बेस तैयार कर चुकी सरकार अब इसका वर्गीकरण प्रखंड स्तर पर करेगी। इस बाबत प्रखंड स्तर पर कुपोषित बच्चों का व्यापक सर्वे होगा।

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कुपोषण के मामले में जिन प्रखंडों की स्थिति ज्यादा गंभीर होगी, वहां कुपोषण दूर करने के उपायों पर अधिक फोकस होगा। राज्य को कुपोषण मुक्त करने का यह कार्य योजनाओं के अंतर्विभागीय समन्वय से होगा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका भी सुनिश्चित की जाएगी।

झारखंड राज्य खाद्य आयोग और पोषण मिशन के संयुक्ततत्वावधान में सोमवार को नेपाल हाऊस में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में यह आम सहमति बनी।

कहा गया कि गर्भवती महिलाओं का सही समय पर निबंधन नहीं होने से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी सही समय पर नहीं मिल पाता, नतीजतन जच्चा-बच्चा दोनों कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

पंचायत और प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कार्यरत आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहियाओं आदि की भूमिकाएं बढ़ाने, जागरूकता अभियान चलाने, कुपोषण दूर करने से संबंधित सरकार की योजनाओं और लाभों की जानकारी अंतिम व्यक्तितक पहुंचाने, मध्याह्न भोजन योजना, दाल-भात केंद्र, कुपोषण उपचार केंद्र आदि पर फोकस करने का सुझाव दिया।

विकास आयुक्त डीके तिवारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में झारखंड राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष सुधीर प्रसाद के अलावा डा. रंजना, उपेंद्र नारायण उरांव, हलधर महतो, महानिदेशक, पोषण मिशन डीके सक्सेना, निदेशक समाज कल्याण मनोज कुमार, कुपोषण से सर्वाधिक प्रभावित 13 जिलों के सिविल सर्जन, समाज कल्याण पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी आदि ने शिरकत की।

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196 बच्चों को लिया गोद, दो महीने में बदली 96 की तस्वीर

बैठक में कुपोषण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से एक खूंटी का उदाहरण दिया गया। कहा गया कि यहां के सरकारी कर्मियों ने पूर्व में 196 बच्चों को गोद लिया था। इनमें से 96 बच्चों की तस्वीर महज दो महीने में बदल गई। वक्ताओं ने इस दौरान अन्य जिलों में भी ऐसी पहल की जरूरत बताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि गोद लेने का मतलब यह कतई नहीं है कि उसे अपने घर ले जाए, बल्कि कुपोषण भगाने की विभिन्न योजनाओं से उन्हें जोड़ें और उसकी मानीट¨रग करें।

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विकास आयुक्त की नसीहत, आयरन और प्रोटीन पर करें फोकस

विकास आयुक्त डीके तिवारी ने अफसरों को इस दौरान कुपोषित जिलों में प्रोटीन और आयरनयुक्त खाद्य पदार्थो पर फोकस करने को कहा। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्थानीय स्तर पर फलों और सब्जियों का अत्यधिक उपयोग किया जाए। पोषण वाटिका और किचेन गार्डेन की अवधारणा को घर-घर पहुंचाया जाए। पोषण के क्षेत्र में काम कर रही विभिन्न समितियों की संयुक्तसमिति बनाई जाए।

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