झारखंड के बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है करारा झटका
उपभोक्ताओं को ऊर्जा की खपत के हिसाब से हर माह करीब 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
रांची, प्रदीप सिंह। उपभोक्ताओं को प्रतिमाह बिजली की खपत पर मिल रही लगभग 90 फीसद रियायत (सब्सिडी) पर खतरा मंडरा रहा है। इसका कारण सब्सिडी के मानकऔर उसके अनुरूप प्रक्रिया को अपनाने में राज्य बिजली वितरण निगम की लापरवाही है।
सरकार की नई पावर पॉलिसी के प्रस्ताव में ही इस पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें उपभोक्ताओं को मासिक बिल पर मिल रही सब्सिडी स्पष्ट नहीं होने का जिक्र है। कहा गया है कि ग्रामीण इलाके तक उपभोक्ताओं को सुविधाजनक दर पर बिजली मिल पाए, इसके लिए टारगेटेड सब्सिडी मांग के अनुरूप मुहैया कराया जाना चाहिए।
मानक की हुई अनदेखी
बिजली दर में भारी बढ़ोतरी के बाद सरकार ने आनन-फानन में उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने का एलान कर उसे उपलब्ध भी करा दिया लेकिन वह नियमानुसार नहीं है। उसे जारी रखने के लिए जिस स्पष्ट नीति की जरूरत है, उसे अब तक मानक के अनुरूप तैयार नहीं किया जा सका है।
सबसे बड़ी समस्या सब्सिडी देने में जवाबदेही का अभाव है। निर्देश है कि सब्सिडी सीधे भुगतान किया जा सकता है। उसके लिए डीबीटी मैकेनिज्म विकसित किया जाना जरूरी है। स्पष्ट रोडमैप के बिना ऐसा करना संभव नहीं है।
एक जुलाई से लागू है नई दर
जून माह में नई बिजली दर को राज्य विद्युत नियामक आयोग ने स्वीकृति दी थी। बिजली दर में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए तब सरकार ने उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने का एलान किया था।
आननफानन में इसके लिए ऊर्जा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया। जिसे कैबिनेट की मंजूरी दी गई। एक जुलाई से नई दर प्रभावी हुई। इसी माह से उपभोक्ताओं को सब्सिडी भी दी जाने लगी। बिल पर बिजली की खपत के मुताबिक राशि और सब्सिडी की राशि का उल्लेख होता है। सब्सिडी घटाकर उपभोक्ताओं को बिल का भुगतान करना पड़ता है।
बिजली दर तय करने में भारी विसंगति
नई पावर पॉलिसी के प्रस्ताव में बिजली दर (टैरिफ) में सुधार पर खासा जोर है। इसमें अक्टूबर, 2017 में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दिए गए गाइडलाइन का हवाला दिया गया है। टैरिफ रिफॉर्म्स के निर्देश के मुताबिक राज्य की बिजली दरों में अलग-अलग वर्ग और उपवर्ग में भारी विसंगति है।
ये है पावर पॉलिसी के ड्राफ्ट में
-वोल्टेज को आधार बनाते हुए उसे बिजली दर से जोड़ने का निर्देश।
-बिजली टैरिफ पांच साल के लिए युक्तिसंगत बनाया जाए ताकि दर बढ़ोतरी का ज्यादा असर न हो।
-डिमांड और एनर्जी चार्ज के मुताबिक टैरिफ हो ताकि फिक्स और वैरिएबुल चार्ज लिया जा सके।
-बगैर मीटर के कनेक्शन को तत्काल बंद करें। ये बिजली की बर्बादी बढ़ा रहे हैं।
-स्टेट डिस्कॉम खपत और क्षमता का अध्ययन करे ताकि घरेलू और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं का स्लैब हो सके।
- उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा आदि का प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करें।