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संघर्ष की आग में इस तरह तपकर निखरे नवाजुद्दीन सिद्दीकी

दशरथ मांझी के जीवन पर केतन मेहता की फिल्म मांझी द माउंटेनमैन पहली ऐसी फिल्म थी, जिसमें पहली बार वो सोलो हीरो के रूप में नजर आए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 12:36 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 02:50 PM (IST)
संघर्ष की आग में इस तरह तपकर निखरे नवाजुद्दीन सिद्दीकी
संघर्ष की आग में इस तरह तपकर निखरे नवाजुद्दीन सिद्दीकी

रांची, नवीन शर्मा। हिंदी सिनेमा में कई ऐसे अभिनेता हैं, जो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए। पहली ही फिल्म में हीरो की भूमिका निभाने का मौका मिल गया। खासकर जिनके मां-पिता या अन्य कोई रिश्तेदार या परिचित फिल्मों में जुड़ा हो। उनके लिए बॉलीवुड का फिल्म सफर थोड़ा आसान हो जाता है। वहीं, दूसरी तरफ ऐसे कलाकार भी हैं जिनको फिल्मों में एक सीन में भी दिखने के लिए बर्षों तक चप्पल घिसनी पड़ती है। नवाजुउद्दीन सिद्दीकी भी इसी संघर्षशील वर्ग से आते हैं। छोटे किसान के परिवार से आए नवाजुद्दीन का जन्म 19 मई, 1974 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के छोटे से गांव भुवाना में हुआ था। फिल्में देखने के लिए भी उन्हें कई महीनों तक पैसे जमा कर कस्बे तक जाना होता था। मुजफ्फरनगर में पढ़ाई के साथ थिएटर से भी जुड़ाव शुरू हुआ। 

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एनएसडी से आया टर्निंग प्वाइंट

हमारी हिंदी फिल्मों में जितने भी शानदार अभिनेता अब तक हुए हैं उनमें नेशनल स्कूल आफ ड्रामा से प्रशिक्षण पाने वाले कलाकारों की संख्या काफी अधिक है। नवाज के जीवन में भी एक नया मोड़ तब आया, जब वे एनएसडी, दिल्ली पहुंचे। यहां के प्रशिक्षण ने उनके जीवन की इमारत खड़ी करने की बुनियाद रख दी।

हीरो बनने मुंबई पहुंच गए

एनएसडी में मिले प्रशिक्षण की बदौलत अभिनय के गुणों से लैस होकर नवाज वर्ष 2000 मुंबई पहुंचे। एक ऐसी दुनिया में, जहां उनकी कोई पहचान नहीं थी। यहां से नवाज के संघर्ष की नई दास्तान शुरू हुई। शुरू में उन्होंने टीवी सीरियल में काम की तलाश की, लेकिन उनका छोटा कद, सांवला रंग, साधारण चेहरा देखकर सब हंसी उड़ाते। करीब पांच वर्षों तक काम की ही तलाश करते रहे।

एक सीन रोल से शुरुआत

नवाज का बॉलीवुड फिल्मों में सफर एक सीन की फिल्म सरफरोश (1999) और मुन्ना भाई एमबीबीएस से शुरू हुआ। इन फिल्मों में वे महज एक सीन में ही नजर आए। इसके बाद से नवाज को फिल्मों में ढंग का रोल पाने के लिेए काफी पापड़ बेलने पड़े।

अनुराग ने नवाज को निखारा

अनुराग कश्यप ने नवाज की निराशा में डूबती नैया को पार लगाने में तारणहार की भूमिका निभाई। अनुराग की द ब्लैक फ्राइडे में नवाज को पहली बार ऐसा रोल मिला, जिसने उन्हें पहचान दी। अनुराग की देवी डी में भी नवाज ने दर्शकों का ध्यान खिंचा। इसके बाद गैंस अॉफ वासेपुर 2 में नवाज एक गैंगस्टर का स्वभाविक अभिनय किया। अपनी संवाद अदायगी और शानदार अभिनय के जरिये नवाज ने खुद को बॉलीवुड में स्थापित कर लिया। अब वे भी स्टार बन गए। अनुराग ने एक तरह से नवाज के गॉड फादर का रोल अदा किया।

2009 में शुरू हुआ नया सफर

जिस तरह से घोर अंधेरी रात के ठीक बाद सूरज धीरे-धीरे अपनी किरणें बिखर कर सारे जग को रोशन कर देता है ठीक उसी तरह नवाज ने भी 2009 से अपनी एक से बढ़कर फिल्मों के जरिये दर्शकों को अपनी अभिनय प्रतिभा का कायल बना लिया। देव डी, न्यूयार्क और फिराक में नवाज ने शानदार अभिनय किया। पीपली लाइव में पत्रकार की भूमिका के साथ भी उन्होंने न्याय किया।

नवाज की नई कहानी

वर्ष 2012 में सुजोय घोष की फिल्म कहानी में नवाज ने आइबी के कड़क आफिसर का किरदार निभाया। इस फिल्म की सफलता का ज्यादातर क्रेडिट विद्या बालन को मिला लेकिन नवाज ने भी अपने अभिनय की कहानी को नया विस्तार दिया। लंच बाक्स में वो इरफान को बेहतरीन टक्कर देते नजर आए। वहीं, तलाश में भी उन्होंने एक शातिर अपराधी तैमूर का स्वभाविक अभिनय किया। नवाज को उनके जानदार अभिनय के लिए 60 वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ज्यूरी के स्पेशल पुरस्कार से नवाजा गया।

मांझी से नवाज बने माउंटेनमैन

बिहार के गया के रहने वाले दशरथ मांझी के जीवन पर केतन मेहता की फिल्म मांझी द माउंटेनमैन पहली ऐसी फिल्म थी, जिसमें पहली बार वो सोलो हीरो के रूप में नजर आए। दशरथ मांझी ने करीब दो दशक तक एक पहाड़ का तोड़कर सड़क बनाई थी। यह कहानी फिल्मी पर्दे के लिए बोरिंग कही जा सकती है लेकिन ऐसे विषय पर यह शानदार फिल्म बनाई गई। इसमें नवाज ने अपने अभिनय के शानदार रंग दिखाए। फिल्म बदलापुर में हालांकि नायक तो वरुण धवन थे लेकिन विलेन का रोल करके भी नवाज ने अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। बजरंगी भाई जान में भी सलमान खान के बाद सबसे अधिक ध्यान नवाज ने पाकिस्तानी पत्रकार की भूमिका में खिंचा।

नवाज की फिल्म रमन राधव 2.0 कान फिल्म महोत्सव में दिखाई गई। इसमें नवाज का अभिनय इतना दमदार रहा कि इसे स्टैंडिंग अवेशन मिला। इस फिल्म के डायरेक्टर भी अनुराग कश्यप हैं। यह फिल्म एक सीरीयल किलर रमन राघव पर आधारित है। इसी तरह की एक और फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज में नवाज ने कांट्रैक्ट किलर का रोल किया है। रईस में भी वे ईमानदार पुलिस अधिकारी की भूमिका में जमते हैं।

इस साल आई श्रीदेवी की मॉम में एक प्राइवेट जासूस का रोल किया है। उनका गेटअप इतना बढ़िया था कि देखकर लगा ही नहीं की ये नवाजुद्दीन हैं।


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