भुइंहर मुंडा, खूंटकटी मुंडा, कपाट मुंडा, लोहार, घटवाल और चिक बड़ाईक जाति को भीआदिवासी वाला लाभ
अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आनेवाली भुइंहर मुंडा, खूंटकटी मुंडा, कपाट आदि जातियां अब आदिवासी की श्रेणी में आएंगी।
राज्य ब्यूरो, रांची। अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आनेवाली भुइंहर मुंडा, खूंटकटी मुंडा, कपाट मुंडा, लोहार, घटवाल एवं चिक बड़ाइक जाति को अनुसूचित जनजातियों की ही तरह आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। राज्य सरकार इसे लेकर प्रयासरत है। ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में गठित जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की उपसमिति की गुरुवार को हुई बैठक में इसपर मंथन किया गया। इसमें संबंधित संगठनों से बात करने तथा पुराने इतिहास खंगालकर तथ्य जुटाने का निर्णय लिया गया। उपसमिति की अगली बैठक शीघ्र होगी। तय हुआ कि इस माह के अंत तक इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
बता दें कि टीएसी की 3 अगस्त को हुई बैठक में तय हुआ था कि उपसमिति इस पर रिपोर्ट देगी। साथ ही कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग तथा राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग विभिन्न स्टेक होल्डर के साथ इस मसले पर मंत्रणा करेगा। अधिकतम छह महीने के अंदर इस पर सरकार फैसला लेगी। गुरुवार को हुई उपसमिति की बैठक में विधायक शिवशंकर उरांव, ताला मरांडी, जेबी तुबिद आदि उपस्थित थे।
म्युनिसिपल रेगुलेटरी बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की जल्द करें नियुक्ति
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में गुरुवार को देवघर में टोल टैक्स वसूली के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने झारखंड म्युनिसिपल रेगुलेटरी बोर्ड के चेयरमैन व अन्य सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा करने का सरकार को निर्देश दिया। कोर्ट ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में सुनवाई निर्धारित करते हुए सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में विलंब होने पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकार एक साल में रेगुलेटरी बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों के लिए सेवा-शर्त नियमावली ही बना पाई है। अब तक विज्ञापन निकालकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना चाहिए था।
गुरुवार को सरकार की ओर से बताया गया कि रेगुलेटरी बोर्ड के गठन पर कैबिनेट की स्वीकृति भी मिल गई है। इस पर कोर्ट ने सरकार से बोर्ड के कार्यालय व कर्मचारियों की नियुक्ति के बारे में भी जानकारी मांगी है।
बता दें कि इस संबंध में देवघर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने जनहित याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि देवघर में नगर निगम व्यावसायिक वाहनों से टोल टैक्स वसूलता है, जो उचित नहीं है। टैक्स वसूलने के लिए रेगुलेटरी बोर्ड का गठन ही नहीं किया गया है।