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झारखंड में रोज होती है 50 बच्‍चों की मौत, हर साल दम तोड़ते हैं 17500 नवजात

राज्‍य में शिशु मृत्‍यु दर में गिरावट के बीच 2011 से अबतक 6000 नवजातों की जान बचाई गई है। उचित देखभाल से मृत्यु दर में 41 फीसद की कमी आ सकती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 03:25 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 03:25 PM (IST)
झारखंड में रोज होती है 50 बच्‍चों की मौत, हर साल दम तोड़ते हैं 17500 नवजात
झारखंड में रोज होती है 50 बच्‍चों की मौत, हर साल दम तोड़ते हैं 17500 नवजात

रांची, राज्य ब्यूरो। हाल के वर्षों में झारखंड में नवजात शिशुओं की मृत्यु में लगातार गिरावट आई है। इसके बावजूद एसआरएस-2016 की रिपोर्ट के अनुसार, एक अनुमान के आधार पर राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 17,500 नवजातों की मृत्यु हो जाती है। हालांकि राज्य में शिशु स्वास्थ्य में बेहतर प्रयास से एक अनुमान के मुताबिक 2011 से अबतक 6000 नवजातों को बचाया जा सका है।

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राज्य में समय पूर्व जन्म लेने वाले 35 फीसद नवजातों की मृत्यु हो जाती है, जबकि संक्रमण के कारण 31 फीसद तथा सांस लेने में परेशानी होने पर 20 फीसद नवजातों की मौत हो जाती है। यूनिसेफ के अनुसार, ऐसे अधिसंख्य मौतों को रोका जा सकता है यदि समय पर बीमारी के लक्षणों की पहचान कर ली जाए तथा जन्म के समय रेफरल और उचित देखभाल की सुविधा उपलब्ध हो।

जानकार बताते हैं कि जन्म के पहले माह नवजातों के उचित देखभाल और उपचार से इनमें होनेवाली मौतों में व्यापक कमी लाई जा सकती है। तीन तरह के प्रयासों से नवजात मृत्यु को कम किया जा सकता है। जन्म के दौरान समुचित देखभाल से नवजात मृत्यु में 41 फीसद तक कमी लाई जा सकती है। इसके अलावा, छोटे और बीमार नवजात की देखभाल और उपचार सुविधा उपलब्ध होने से 30 फीसद तथा सामुदायिक देखभाल से 25 से 30 फीसद मृत्यु को रोका जा सकता है।

यूनिसेफ की राज्य प्रमुख डा. मधुलिका जोनाथन के अनुसार नवजातों में होनेवाली मृत्यु को कम करने के लिए मल्टी सेक्टरल दृष्टिकोण जरूरी है। कंगारू मदर केयर, जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान, भोजन से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना, बीमारी की समय पर पहचान तथा विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में उनके रेफर करने की व्यवस्था से इन्हें बचाया जा सकता है।

नवजातों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं : -सदर अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में 18 एसएनसीयू स्थापित हैं। -इन केंद्रों में 4000 से अधिक नवजातों को भर्ती कराया गया है जिनमें 60 फीसद नवजातों को उपचार के बाद छुट्टी दी गई।

15-21 नवंबर तक नवजात सप्ताह : नवजात सप्ताह प्रत्येक वर्ष 15-21 नवंबर तक मनाया जाता है। इस वर्ष के नवजात सप्ताह का विषय समय पूर्व और अद्र्ध विकसित पैदा होनेवाले बच्चों का उचित देखभाल है। इस सप्ताह के दौरान राज्य सरकार 19 एवं 20 नवंबर को बाल व शिशु मृत्यु की समीक्षा करेगी। बीमार नवजातों की पहचान कर उनका इलाज सुनिश्चित किया जाएगा।


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