मरीज के बाईं ओर के अंग दाईं ओर देख चकित रह गए सर्जन
रांची : गॉल ब्लाडर में पथरी के एक मरीज के शरीर के अंगों का हाल देख डॉक्टर उस समय चकित रह ग
रांची : गॉल ब्लाडर में पथरी के एक मरीज के शरीर के अंगों का हाल देख डॉक्टर उस समय चकित रह गए जब उसके शरीर के सभी अंग उलटी ओर दिखे। यह मामला साइटस इनवर्सस का था, जिसमें मरीज के शरीर में दाईं और के सभी अंग बाईं ओर तथा बाईं ओर के सभी अंग दाईं ओर रहते हैं। डॉक्टरों के आंकड़े के अनुसार 25 लाख में एक मरीज ऐसा हो सकता है। मामला समय पर पकड़ में आ जाने के कारण सिंह मोड़ के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. सुनील कुमार ने मरीज का सफल ऑपरेशन किया। हालांकि इस दौरान उन्हें भी दाएं हाथ की जगह बाएं हाथ से ऑपरेशन करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। बताया जाता है कि डॉ. सुनील कुमार के पास एक महिला मरीज पहुंची। उसे पेट में दर्द की शिकायत थी। दर्द के लक्षण से नहीं लगा कि मरीज को गॉल ब्लाडर में पथरी हो सकती है। समस्या ये थी कि मरीज ने पेट में दर्द को बाईं तरफ बताया था, जबकि गॉल ब्लाडर अमूमन शरीर में दाईं तरफ होता है। डॉ. सुनील कुमार ने जांच कराई तो वह भी देखकर दंग रह गए कि महिला के शरीर में न सिर्फ गॉल ब्लाडर ही बाईं तरफ था, बल्कि एपेंडिक्स भी बाईं तरफ था। एसप्लीन बाईं ओर की बजाय दाईं ओर था। इसी तरह कई अंग विपरीत दिशा में थे। ऐसे मरीज साइटस इनवर्सस के मरीज कहलाते हैं। खास बात यह है कि गॉल ब्लाडर में पथरी के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में दो ले़फ्ट हैंड वर्किंग पोर्ट को जो दाहिने साइड में दिया जाता है। उसे सर्जरी के दौरान बायीं तरफ लगाना पड़ा। जिस कार्य को चिकित्सकों द्वारा दाएं हाथ से करने की आदत थी, उसे चुनौती के तौर पर बाएं हाथ से करना पड़ा। गॉल ब्लाडर पथरी की सर्जरी करने में चिकित्सक को डेढ़ घंटे का वक्त लगा। सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। ऑपरेशन में एनेस्थेटिक डॉ. दशरथ मुर्मू और नर्स पूनम का सराहनीय योगदान रहा।