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बिजली महकमे में 141 विवादित बहालियों की होगी जांच, विशेष स्थापना समिति गठित

Jharkhand. इंटरनल कोटे से बहाली रद कर दी गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश। जांच में अनियमितता उजागर हुई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 07:37 PM (IST)
बिजली महकमे में 141 विवादित बहालियों की होगी जांच, विशेष स्थापना समिति गठित
बिजली महकमे में 141 विवादित बहालियों की होगी जांच, विशेष स्थापना समिति गठित

रांची, राज्य ब्यूरो। बिजली महकमे में 2007 में इंटरनल कोटे से हुई गलत बहाली में शामिल लोगों की नए सिरे से स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए ऊर्जा विकास निगम ने विशेष स्थापना समिति का गठन किया है। इसमें महाप्रबंधक (कार्मिक) समेत तीनों स्वतंत्र कंपनियों के उप महाप्रबंधक (मानव संसाधन) शामिल किए गए हैं। गौरतलब है कि इंटरनल कोटे से की गई 141 बहालियों को जांच में गलत पाया गया था। इसके बाद प्रबंधन ने नियुक्तियों को रद करने का आदेश दिया था।

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इस आदेश के बाद कर्मियों ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने इसमें यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है। इसके बाद विशेष स्थापना समिति का गठन किया गया है। हालांकि विभागीय स्थापना समिति एक होती है, लेकिन सिर्फ 2007 में नियुक्त लेखा लिपिकों, पत्राचार कर्मियों समेत इंटरनल कोटे से बहाल किए गए लोगों के लिए समिति का गठन करना चर्चा का विषय बना हुआ है।

क्या है मामला

तत्कालीन झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड की बहाली में घालमेल का मामला 2006 का है। उस वर्ष पत्राचार लिपिक के 65 पदों, कनीय लेखा लिपिक व विपत्र लिपिक के 50 पदों और भंडार सहायक के पांच पदों पर आंतरिक नियुक्ति का निर्णय किया गया था। बोर्ड के इस निर्णय के विरुद्ध कार्मिक निदेशक, राज्य विद्युत बोर्ड ने 27 जुलाई 2007 को 169 पत्राचार लिपिकों, 79 कनीय लेखा लिपिकों और 13 भंडार सहायकों की नियुक्त कर ली। इस प्रकार पत्राचार लिपिक के पद पर 104, कनीय लेखा लिपिक के पद पर 29 और भंडार सहायकों के पद पर आठ नियुक्तियां ज्यादा हुईं।

इस प्रकार अधिकारियों ने 141 ओवर एप्वाइंटमेंट किए। 2006 के इस मामले की जांच 11 सितंबर 2018 को अपर पुलिस महानिदेशक ए नटराजन की अध्यक्षता में शुरू हुई। टीम ने आठ माह की जांच के बाद ऊर्जा विकास निगम प्रबंधन को रिपोर्ट सौंपी। जांच दल में अभियंता प्रमुख रमेश ठाकुर, महाप्रबंधक राकेश रौशन, उप महाप्रबंधक जयंत प्रसाद, अनिल कुमार भारतीयम और विधि पदाधिकारी अरविंद कुमार बतौर सदस्य शामिल थे। विभागीय जांच के पहले एजी की टीम ने बहाली में हुई व्यापक गड़बड़ी को पकड़ा था।

जूनियर एकाउंट्स क्लर्क की परीक्षा में सिर्फ 32 कैंडिडेट ही पास कर पाए थे, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदों पर कोई पास नहीं कर पाया। इसी प्रकार पत्राचार लिपिक के लिए सिर्फ 43 अभ्यर्थी उतीर्ण हुए। इस कैटेगरी में भी अनुसूचित जाति व जनजाति का कोई अभ्यर्थी पास नहीं हो पाया, जबकि भंडार सहायकों में चार ने परीक्षा पास की। परीक्षा का कुल अंक 110 था, जिसमें उतीर्ण होने के लिए 50 प्रतिशत यानी 55 अंक लाना अनिवार्य था।


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