राज्य के बड़े शहरों में आतंकी बना रहे स्लीपर सेल, प्रशासन को सख्ती करने की है जरूरत
राज्य के बड़े शहरों में आतंकियों ने अपनी पैठ बना ली है। वे स्लीपर सेल बना रहे हैं। प्रशासन को सख्ती करने की जरूरत है। किराएदार रखने से पहले सत्यापन नहीं करवाने वाले मकान मालिक पर भी कार्रवाई हो।
रांची, जासं। झारखंड में उग्रवादियों और नक्सलियों के साथ बड़े शहरों में आतंकियों ने भी अपनी पैठ बना ली है। अलग-अलग शहरों में ये नाम बदलकर रह रहे हैं। राजधानी रांची में भी उग्रवादी संगठन के कई सदस्य नाम बदलकर रह रहे थे, जिनकी गिरफ्तारी के बाद पूरा मामला सामने आया। जमशेदपुर में नाम बदलकर रह रहे दाऊद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल माजिद को गुजरात एटीएस ने दो दिन पहले पकड़ा है। 1996 में दाऊद के इशारे पर माजिद ने महाराष्ट्र और गुजरात में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बम विस्फोट करने की साजिश रची थी। साजिश नाकाम होने के बाद से फरार चल रहा था।
पिछले एक साल से वह जमशेदपुर के पॉश इलाके में नाम बदलकर रह रहा था। बदले हुए नाम पर उसने आधार कार्ड और पासपोर्ट भी बनवा लिया था। इससे पूर्व भी अलकायदा के आतंकी अब्दुल रहमान कटकी ने भी जमशेदपुर समेत झारखंड में कई जगह आतंकियों के स्लीपर सेल बनाए थे। जमशेदपुर में कई जगहों पर उसने अपना नेटवर्क फैला रखा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरा मामला सामने आया। इसी तरह पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के बाद हुई जांच के कारण राजधानी रांची के सिठियो, हिंदपीढ़ी इलाके से स्लीपर सेल के तौर पर आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे कई लोग धराए थे। ये सभी नाम बदलकर बतौर किराएदार रह रहे थे।
किराएदारों और नौकरों के सत्यापन के लिए पुलिस विभाग से कई निर्देश जारी होते रहते हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजी खानापूíत बनकर रह जाती है। किराएदार बनकर दूसरे प्रदेश के अपराधियों के संरक्षण लेने और अपराध करने के मामले पूरे प्रदेशभर में सामने आते रहे हैं, लेकिन पुलिस सचेत नहीं हो रही है और इसका नतीजा यह है कि आतंकी भी आसानी से राज्य को शरणस्थली बना रहे हैं। सिस्टम में इतनी खामियां हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर आधार कार्ड तक बन जाते हैं। इस पर सख्ती की जरूरत है। फर्जी कार्ड बनवाने में शामिल रहने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। किराएदार रखने से पहले सत्यापन नहीं करवाने वाले मकान मालिक पर भी कार्रवाई हो।