भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद बेअसर, रांची में 25 गिरफ्तार
भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ रांची में अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन कर रहे आदिवासी विकास परिषद के बीच 25 सदस्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिए।
रांची, जेएनएन। भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद बेअसर रहा। सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी का आहूत बंद आज राजधानी रांची और धनबाद सहित पूरे प्रदेश में बेअसर रहा। रांची में मेन रोड की सभी दुकानें रहीं। आवागमन सामान्य रहा। पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही। सुबह के समय शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में बंद समर्थकों ने सड़क जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया। रांची के फिरायालाल चौक पर निकले 25 बंद समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा कांके, रातू, नामकुम सहित अन्य इलाकों में भी बंद समर्थक गिरफ्तार किए गए हैं। एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने कहा कि बंद से निबटने के लिए पुलिस ने पूरी तैयारी की थी। बंद समर्थकों को किसी कीमत पर उपद्रव नहीं करने दिया।
झारखंड बंद के दौरान रांची में प्रदर्शन करते आदिवासी।
नहीं मिला राजनीतिक दलों का समर्थन :
आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ सोमवार (18 जून) को झारखंड बंद का एलान किया था। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों से बंद को समर्थन देने की अपील की थी, लेकिन किसी ने उनके आग्रह का असर नही दिखा। सालखन मुर्मू का कहना है कि झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 पर राष्ट्रपति की मुहर आदिवासियों और मूलवासियों के लिए डेथ वारंट है।
झारखंड विधानसभा ने 12 अगस्त, 2017 को भूमि अर्जन-पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापना में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक-2017 पारित किया था। इसमें सोशल इम्पैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। इससे सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि, पिछले साल विधानसभा के माॅनसून सत्र में भू-अर्जन में सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट खत्म करने पर विपक्ष की कड़ी आपत्ति के बावजूद भारी शोर-शराबे के बीच यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया था।
धनबाद में बंद का असर नहीं रही। यातयात सामान्य रहा और शहर की दुकानें खुली रहीं।
गिरिडीह में बंद बेअसर
भूमि अधिग्रहण विधेयक संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद पूरे गिरिडीह जिले में बेअसर रहा। बंद समर्थक सड़कों पर नहीं नजर आए।
दुमका में झारखंड बंद के चलते मुस्तैद पुलिस।
दुमका में भी बंद का कोई असर नहीं रहा। बसों का परिचालन जारी रहा। चौक चौराहा पर पुलिस मुस्तैद रही। मसलिया प्रखंड में कुछ समर्थकों ने सड़क को जाम किया। बंदी बेअसर रही।
गोड्डा : भूमि अधिग्रहण विधेयक संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद का पूरे जिले में कोई असर नहीं दिखा।
देवघर में बंद का असर नहीं दिखा।
चाईबासा में टायर जला जाम की सड़क
झारखंड दिशोम पार्टी द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ सोमवार को झारखंड बंद का मिश्रित असर दिखा। कोल्हान के शहरी क्षेत्रों में तो बंद का असर नहीं दिखा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बंद का असर दिखा। सरायकेला-चाईबासा मुख्य मार्ग में आंदोलनकारियों ने टायर जला सड़क जाम किया। इस कारण इस रूट पर एक भी वाहन नहीं चले। एनएच पर भी वाहनों की आवाजाही कम रही। शहरी क्षेत्र की दुकानें तो खुली रही लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की दुकाने बंद रही। जमशेदपुर के करणडीह में बंद समर्थकों ने घूम-घूम कर दुकानों को बंद कराया।
घाटशिला में बंद का आंशिक रहा। बंद को ले हाइवे समेत अन्य क्षेत्र में पुलिस बल के साथ दंडाधिकारी तैनात रहे। बाजार व अन्य प्रतिष्ठान खुले रहे, निजी स्कूलों में बंद का असर दिखा। स्कूल नहीं खुले। चाईबासा, चक्रधरपुर, सरायकेला आदि क्षेत्रों में बंद का मिश्रित असर देखा गया। हालांकि झारखंड बंद को लेकर झारखंड दिशोम पार्टी पूरी तरह अलग-थलग दिखलाई पड़ी।
झारखंड दिशोम पार्टी और आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को राष्ट्रपति की मुहर लगना आदिवासी-मुलवासी समाज के लिए डेथ वारंट है। इसे खारिज किए बिना झारखंड जन का अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी समाप्तप्राय है। हासा यानि जमीन, जंगल व जल, भाषा और सरना धर्म को बचाने के लिए झामुमो के नेतृत्व में चुनाव के लिए बने महागठबंधन को जनांदोलन के लिए मैदान में आना चाहिए है।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने बयान दिया है कि सरकार 24 घंटे में अपना स्थिति स्पष्ट करे। इसमें सरकार का स्थिति तो स्पष्ट है ही। सालखन के मुताबिक झारखंड बंद का मकसद विरोध के लिए सिर्फ विरोध करना या किसी के साथ रेस करना नहीं है। बल्कि झारखंडी जनहित में झारखंड भूमि अधिग्रहण कानून 2017 को सरएनटी, एसपीटी कानून में हुए गलत संशोधन की तरह झारखंड सरकार को वापस करने के लिए मजबूर करना है।