दुनिया देखने के लिए इसलिए तरस रहीं हैं इनकी आंखें
आंखों में रोशनी नहीं होने के कारण वे अपने प्रियजनों का चेहरा और बच्चों की मुस्कान नहीं देख सकते।
रांची, कंचन कुमार। रामगढ़ जिले के बासल थाना क्षेत्र के रसदा निवासी पिंटू कुमार (26) जैसे सैकड़ों लोग आंखों में रोशनी नहीं होने के कारण अपने प्रियजनों का चेहरा और बच्चों की मुस्कान नहीं देख सकते। इन जैसे लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि राज्य के बाहर के अस्पतालों में अपना इलाज करवा सकें। राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स उनका इलाज करने में सक्षम ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि रिम्स में आई बैंक नहीं है। है जरूर, लेकिन वह दिखावे के लिए।
आई बैंक के लिए रिम्स में लाखों की मशीनें मंगवाई गईं, उपकरण भी मंगाए गए लेकिन रिम्स के आई बैंक के खाते में अब भी जीरो बैलेंस है, यानी उसके खाते में पिछले छह वर्षों में आज तक एक भी कार्निया नहीं मिल सका जिसे ट्रांसप्लांट किया जा सके। वजह, रिम्स के आई बैंक में अब भी पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर व मैन पावर नहीं है।
बावजूद इसके विभाग के आउटडोर में औसतन 6-7 कार्नियल रोग से ग्रसित लोग पहुंचते हैं। छह साल पूर्व यहां कार्निया के जरूरतमंद लोगों की प्रतीक्षा सूची बनाई जाती थी। लेकिन विभाग ने अब सूची रखना भी बंद कर दिया है। समृद्ध लोग तो राज्य से बाहर जाकर पैसे खर्च कर आई (कॉर्निया) ट्रांसप्लांट करा लेते हैं। लेकिन पिंटू व इन जैसे राज्य के सैकड़ों गरीब वेटिंग लिस्ट में अपना नाम लिखवाकर पूरी जिंदगी इंतजार करते रह जाते हैं।
कार्निया का बड़ा स्रोत हो सकता है रिम्स
रिम्स कार्निया का बड़ा स्रोत हो सकता है, जरूरत है चिकित्सकों को गंभीर होने की। क्योंकि यहां पहुंचने वाले इमरजेंसी तथा गंभीर रोगियों की संख्या बहुत अधिक होती है। मरने वाले लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए परिजनों की काउंसिलिंग की जाए तो कुछ कार्निया प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन विभाग में काउंसलर की ही कोई व्यवस्था नहीं है।
हॉस्पिटल कार्निया रीटरिवल प्रोग्राम (एचसीआरपी) के तहत कुछ जगहों पर कुछ संस्थाएं काउंसिलिंग का काम कर रही हैं। लेकिन राज्य में उपलब्धि न के बराबर है। साल में नेत्रदान पखवारा आयोजित कर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। लेकिन इसका असर आम लोगों पर दिखता नहीं। इसके लिए चिकित्सकों को खुद आगे आकर जागरूकता अभियान चलाना होगा तो अधिक से अधिक काउंसलर की नियुक्ति करनी होगी।
एक व्यक्ति कर सकता है चार जिंदगियां रोशन
एक व्यक्ति की दो आंखें चार लोगों के जीवन से अंधकार मिटा सकती हैं। कॉर्निया मल्टी लेयर होता है। अंदर व बाहर के लेयर दो लोगों के काम आ सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरतमंद के साथ साथ नेत्रदान करने वाले परिजनों का उपलब्ध होना भी जरूरी है।
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कार्निया नहीं मिलने की अभी मेरे पास जानकारी नहीं है। आई विभाग के हेड को इस बारे में निर्देश दिया जाएगा। आने वाले दिनों में समस्या का हल निकलेगा।
-डॉ. आरके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, रिम्स
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