सिमडेगा से अपहृत किशोरी पानीपत से मुक्त, दलाल और प्लेसमेंट एजेंसी पर केस
सिमडेगा से अपहृत किशोरी को पानीपत में एक घर से पुलिस ने बरामद किया है।
रांची/पानीपत : सिमडेगा से अपहृत किशोरी को मॉडल टाउन स्थित ओल्ड गैस गोदाम के पास एक घर से मुक्त कराया गया। झारखंड चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सूचना पर मंगलवार को पानीपत की सीडब्ल्यूसी ने घर में छापेमारी की। बताया जा रहा है कि लड़की की मौसी ने ही उसे दिल्ली में 40 हजार में बेचा था।
पीड़िता से घर का चौका-बर्तन, कपड़े धुलाई का काम कराया जा रहा था। किशोरी से 15-16 घटे घर में काम कराया जाता था। लड़की के घर से बाहर जाने पर पाबंदी थी और खाना भी समय पर नहीं दिया जाता था। उसने घर से भागने का प्रयास किया, लेकिन दोबारा उसी घर में पहुंच गई। इसके बाद घर के सदस्यों ने उसके साथ मारपीट भी की।
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य किरण मलिक ने बताया कि गाव गोन्देगा, जिला सिमडेगा 15 वर्षीया नाबालिग को पास के गाव में रहने वाली उसकी मौसी मंजू बहकाकर अपने घर ले आई थी।
लड़की के माता-पिता को बताए बगैर उसे दिल्ली के सरिता विहार स्थित प्लेसमेंट एजेंसी संचालक सुनील राव के पास छोड़ गई। सुनील राव ने लड़की को मकान नंबर 508, मॉडल निवासी गुरनाम सिंह पुत्र पाल सिंह से 4000 रुपये प्रतिमाह मानदेय तय कर लड़की को जुलाई 2018 में पानीपत भेज दिया। मंजू को दलाली के रूप में लगभग 40 हजार रुपये दिए गए।
किरण मलिक ने बताया कि लड़की को एक बच्चा संभालने के लिए रखा गया था, लेकिन उससे घर का सभी काम कराए जाते थे। किशोरी 29 अगस्त को घर से भाग कर एक पार्क में पहुंच गई। वहा मिले युवक ने लड़की को एक महिला सोशल वर्कर के सुपुर्द कर दिया। उसने लड़की को दोबारा गुरनाम के घर में पहुंचा दिया।
किरण मलिक ने कहा कि गुरनाम, मंजू और सुनील के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश मॉडल टाउन थाना पुलिस को दिए हैं। लड़की का मेडिकल कराया गया है और उसे शेल्टर होम भेजा गया है। टीम में समिति के सदस्य सरोज कुमारी, हरिदास शास्त्री और एसपीओ सुकेश शामिल रहे।
मामा के प्रयास से हुई मुक्त : किरण मलिक ने बताया कि लड़की का मामा शिक्षक है। उसे पता चल गया था कि उसकी नाबालिग भाजी को को मंजू ने पानीपत में बेच दिया था। उसने जिला सिमडेगा के एक थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया था। वहा की पुलिस ने सीडब्ल्यूसी से मदद मागी थी।
बताया था बालिग : प्लेसमेंट एजेंसी से जिस समय लड़की को लाया गया तो उसकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा बताई गई थी। एजेंसी संचालक के विश्वास पर उसे घर लेकर आए। कुछ दिनों से हमें लगा कि वह रहना नहीं चाहती है तो एजेंसी संचालक को बताया गया ताकि वह उसके माता-पिता को सूचना दे सके। लड़की ने मारपीट, कठिन कार्य कराने के आरोप लगाए, सभी गलत हैं।
गुरनाम सिंह, गृह स्वामी।